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हद कर दी शिंदे साहब ने, संसद में लिया रेप पीड़ितों का नाम

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सरकार लड़कियों और महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता की लाख दुहाई देती हो, लेकिन खुद गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने उसे तार-तार कर दिया। शिंदे ने भंडारा में दुष्कर्म व हत्या कर कुएं में फेंकी गई तीन दलित बच्चियों के नाम उजागर कर दिए। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की इस अनदेखी पर राज्यसभा में नेता विपक्ष की तरफ से शिंदे को सजग करने के बाद भी सरकारी लिखत-पढ़त में भी यह सिलसिला जारी रहा। इतना ही नहीं, गृह मंत्री ने इस मामले की सीबीआइ जांच से भी इन्कार कर दिया है।

By Edited By: Published: Fri, 01 Mar 2013 11:01 PM (IST)Updated: Fri, 01 Mar 2013 11:02 PM (IST)
हद कर दी शिंदे साहब ने, संसद में लिया रेप पीड़ितों का नाम

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सरकार लड़कियों और महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता की लाख दुहाई देती हो, लेकिन खुद गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने उसे तार-तार कर दिया। शिंदे ने भंडारा में दुष्कर्म व हत्या कर कुएं में फेंकी गई तीन दलित बच्चियों के नाम उजागर कर दिए। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की इस अनदेखी पर राज्यसभा में नेता विपक्ष की तरफ से शिंदे को सजग करने के बाद भी सरकारी लिखत-पढ़त में भी यह सिलसिला जारी रहा। इतना ही नहीं, गृह मंत्री ने इस मामले की सीबीआइ जांच से भी इन्कार कर दिया है।

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महाराष्ट्र के भंडारा जिले में महज छह, नौ और 11 वर्ष की तीन बच्चियों के गायब होने, उनके साथ दुष्कर्म और फिर उन्हें कुएं में फेंकने के मामले में कार्रवाई पर गृह मंत्री ने शुक्रवार को राज्यसभा में वक्तव्य दिया। उनकी संवेदनशीलता देखिए कि लिखा-पढ़ी में बच्चियों का नाम भी उजागर कर दिया। नेता विपक्ष अरुण जेटली ने सदन व गृह मंत्री को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के क्रम में दुष्कर्म पीड़िता के नाम का खुलासा नहीं हो सकता।

शिंदे समझ ही नहीं पाए कि नेता विपक्ष क्या कह रहे हैं। उन्होंने उनसे अपनी बात दोहराने की अपील कर डाली। गृह मंत्री के इस रुख से सदन में मौजूद सदस्य लगभग अवाक रह गए। लिहाजा, जेटली के साथ ही उपसभापति पीजे कुरियन को भी गृह मंत्री को उनकी चूक याद दिलानी पड़ी।

समझ में आते ही शिंदे ने नेता विपक्ष के प्रति आभार जताया तो उपसभापति पीजे कुरियन ने बच्चियों का नाम सदन की कार्यवाही से हटवा दिया। साथ ही मीडिया को भी हिदायत दी कि नाम छापने पर विशेषाधिकार हनन का मामला दर्ज होगा। सदन में इस मामले के सुलझने के बाद गृह मंत्रालय ने शिंदे के उसी बयान को जारी कर दिया, जिसे राज्यसभा में सुधारा जा चुका था।

हद तब हुई जब सरकार के पत्र सूचना कार्यालय [पीआइबी] ने भी शिंदे के उसी बयान को जारी कर दिया, जिसे हटाने में लगभग घंटा भर लगा। हालांकि, देर शाम उसने गृहमंत्री का संशोधित वक्तव्य भी जारी कर दिया। गौरतलब है कि शिंदे पहले भी कई बार ऐसे बयान दे चुके हैं, जिन पर उन्हें बाद में माफी मांगनी पड़ी है।

इससे पहले गृह मंत्री ने राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों की तरफ से मामले की सीबीआइ जांच की मांग को खारिज कर दिया। उन्होंने यह कहकर पल्ला झाड़ा कि मामले की जांच महाराष्ट्र पुलिस कर रही है। सदस्यों ने महाराष्ट्र सरकार को जरूरी कार्रवाई का निर्देश देने की मांग की, तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि इस बारे में वह महाराष्ट्र सरकार को अवगत करा देंगे।

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टिवट्र पर भी उपहास का पात्र बने शिंदे

गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने भंडारा कांड पर राज्यसभा में दिए बयान पर सफाई में जो कुछ कहा उससे सोशल साइट टिवट्र पर उनकी जमकर खिंचाई हुई:-

'शिंदे ने कहा कि उन्होंने वही पढ़ा जो उन्हें पढ़ने के लिए दिया गया। किसी को जल्दी से उनका त्यागपत्र लिखकर उनके हाथ में पकड़ा देना चाहिए।'

-इंडिया स्पीक्स

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'आश्चर्य है कि भारतीय गृहमंत्री किस तरह अपने पाकिस्तानी समकक्ष जैसा दिखने को बेताब हैं।'

-एंड्रयू बनकांबे

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'गृहमंत्री को विशेषाधिकार प्राप्त है। इसका यह मतलब नहीं कि उन्होंने कानून नहीं तोड़ा।'

-शिव अरूर

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'शिंदे को गृह मंत्री बनाने के पीछे एक रणनीति है। उनके आलोचकों को इतना आनंद आएगा कि वे सरकार की आलोचना करना भूल जाएंगे।'

-माधवन नारायणन

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'कितनी बार दस जनपथ या सात रेसकोर्स से शिंदे को चुप रहने के लिए कहा जाएगा।'

-शैमी बावेजा

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'अब गृहमंत्रालय का कोई अफसर अपनी नौकरी से हाथ धोएगा ताकि शिंदे की गलती को ढका जा सके।'

-भवदीप चड्ढा

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'अब शिंदे खेद जताएंगे और कमलनाथ या अन्य कोई चापलूस कहेगा कि खेद जताना माफी मांगना नहीं है।'

-वाइकिंग ठक्कर

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