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पाकिस्तानी घुसपैठियों को मिलेगा माकूल जवाब, इस टेक्नोलॉजी का हो रहा इस्तेमाल

ड्रग व हथियार तस्करों को पकड़ने के लिए बीएसएफ ऐसे सेंसर व अलार्म बना रहा है जो चोरी छिपे घुसने वाले दुश्मनों को ढूंढ निकालेगा।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Mon, 25 Dec 2017 08:45 AM (IST)Updated: Mon, 25 Dec 2017 11:50 AM (IST)
पाकिस्तानी घुसपैठियों को मिलेगा माकूल जवाब, इस टेक्नोलॉजी का हो रहा इस्तेमाल
पाकिस्तानी घुसपैठियों को मिलेगा माकूल जवाब, इस टेक्नोलॉजी का हो रहा इस्तेमाल

कानपुर (जागरण संवाददाता)। पाकिस्तानी घुसपैठियों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है। समय के साथ ड्रग व हथियार तस्करों को पकड़ने के लिए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ऐसे सेंसर व अलार्म बना रहा है जो चोरी छिपे घुसने वाले दुश्मनों को पल में ढूंढ निकालेगा। आइआइटी दिल्ली से इसके लिए टाईअप होने के बाद अब आइआइटी कानपुर अलार्म सिस्टम विकसित करेगा। टेक्नोलॉजी के लिए बीएसएफ आइआइटी कानपुर से करार करने जा रहा है। विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त आइजी (बीएसएफ) अनिल पालीवाल आइआइटी प्रबंधन से बात कर रहे हैं।

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1993 बैच के पुनर्मिलन सम्मेलन में शिरकत करने आए मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र रहे अनिल पालीवाल इन दिनों राजस्थान-पाकिस्तान बॉर्डर पर तैनात हैं। बीएसएफ की लोकल लैब में अलार्म सिस्टम व थर्मल इमेजिंग समेत अन्य तकनीकी संयंत्रों पर काम चल रहा है। दुश्मन अब तकनीक का इस्तेमाल करके घुसपैठ कर रहा है, इसलिए उसे पकड़ने की चुनौती से निपटने के लिए आइआइटी समेत देशभर के अग्रणी तकनीकी संस्थानों के साथ मिलकर ऐसे संयंत्र विकसित किए जा रहे हैं जो दुश्मन को दूर से ही चिह्नित कर सकें। ऐसे कई उपकरण बनाने में सफलता भी मिली है। 1993 बैच के छात्रों ने आइआइटी को एक करोड़ की गुरुदक्षिणा दी।

आइआइटी पहुंचे आदिवासी युवा

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा, सुकमा व नारायणपुर जैसे नक्सली इलाकों से निकलकर युवा देश के अग्रणी तकनीकी शिक्षण संस्थान आइआइटी पहुंच रहे हैं। पिछले साल 27 युवाओं ने आइआइटी में प्रवेश प्राप्त किया है। आइआइटी के पूर्व छात्र सम्मेलन में आए प्रदेश के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में सचिव संतोष मिश्रा ने बताया कि रेजिडेंशियल कोर्स के जरिए ऐसे युवाओं को विषय विशेषज्ञ तैयार कर रहे हैं।

इंडियन क्लाउड की जरूरत

कोलंबिया यूनिवर्सिटी में डाटा साइंस विषय के प्रोफेसर व उस बैच के गोल्ड मेडल रहे एनआर गरुण की नजर में सरकारी डाटा सुरक्षित रखने के लिए भारत को यूएस व चीन की तरह इंडियन क्लाउड विकसित करने की जरूरत है। अभी जो डाटा इंटरनेट में है वह आइबीएम, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल व एमाजॉन में पहुंचता है। दस साल पहले कंप्यूटर पर डाटा होता है जिसे सुरक्षित किया जा सकता था, लेकिन आज यह इतना बढ़ गया है कि इसे सुरक्षित रखना व इस्तेमाल करना एक चुनौती है।

आइआइटी के साथ मिलकर दूर करेंगे बिजली संकट

अमेरिका में डेटा संबंधित कंपनी संचालित करने वाले अमित नारायण आइआइटी के साथ मिलकर माइक्रोग्रिड व ऑटोग्रिड सिस्टम बनाने पर काम करेंगे, जिससे देश में बिजली संकट को दूर किया जा सके। सौर ऊर्जा व हवा से बनने वाली इस बिजली को तैयार करने के लिए वे आधुनिक प्लांट लगाएंगे। भारत में बिजली उत्पादन के लिए 11 बिलियन डॉलर की खपत होती है जिसे बचाया जा सकता है। इससे प्रदूषण पर भी शिकंजा कसेगा।

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