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नोटबंदी की वजह से चालू वित्त वर्ष के दौरान देश की आर्थिक विकास दर कम रही

नोटबंदी से देश के तमाम पहलुओं पर पड़ने वाले असर को आर्थिक सर्वे में 12 वर्गो में बांटा गया है।

By Mohit TanwarEdited By: Published: Tue, 31 Jan 2017 06:21 PM (IST)Updated: Wed, 01 Feb 2017 02:57 AM (IST)
नोटबंदी की वजह से चालू वित्त वर्ष के दौरान देश की आर्थिक विकास दर कम रही
नोटबंदी की वजह से चालू वित्त वर्ष के दौरान देश की आर्थिक विकास दर कम रही

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नोटबंदी से जुड़े फैसले को देश के व्यापक हित में बताती रही सरकार ने औपचारिक रूप से पहली बार माना है कि इससे अर्थव्यवस्था को कुछ नुकसान भी हुआ है और आम जनता को परेशानी भी उठानी भी पड़ी है।

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मंगलवार को पेश सदन पटल पर रखे गये आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि नोटबंदी की वजह से चालू वित्त वर्ष के दौरान देश की आर्थिक विकास दर 0.25 से 0.50 फीसद तक कम रही है।

वित्त मंत्रालय के प्रमुख आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रहमणियन ने इस स्वीकारोक्ति की वजह यह बताई कि, ''पहली बार नोटबंदी जैसा कोई कदम दुनिया में उठाया गया है, इसलिए इसकी तुलना किसी भी दूसरे कदम से नहीं की जा सकती।

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असलियत में इसका क्या असर हुआ है, इसे जानने के लिए हमें अभी और इंतजार करना होगा लेकिन जो हालात नोटबंदी के बाद अभी तक सामने आये हैं उसे देख कर इसके फिलहाल कई नकारात्मक असर दिख रहे हैं जबकि भविष्य में कई फायदे होने की भी बात साफ हो रही है।''

नोटबंदी से देश के तमाम पहलुओं पर पड़ने वाले असर को आर्थिक सर्वे में 12 वर्गो में बांटा गया है। इसमें ब्याज दर, बचत, निजी धन, भ्रष्टाचार, कालाधन, सरकारी धन, डिजिटलीकरण, रीयल एस्टेट, अर्थव्यवस्था, आर्थिक विकास दर, कर संग्रह और अनिश्चितता का शीर्षक दिया गया है। इन सभी वर्गों पर नोटबंदी के मौजूदा और भविष्य का आकलन निष्पक्ष तरीके से की गई है।

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इसमें स्वीकार किया गया है कि उद्योग ने निवेश रोका है तो आम जनता ने घरेलू सामान खरीदने का फैसला टाला है। रोजगार भी गए हैं। किसानों की आय प्रभावित हुई है। इन सब वजहों से मांग घट गई है। यह एक वजह है कि आर्थिक विकास दर के 6.75 से 7.50 फीसद रहने की बात कही गई है। लेकिन कई तरह के फायदों की बात भी है और निश्चित तौर सरकार की नजर में जो फायदे हैं वे नुकसान से कई गुणा ज्यादा प्रभावी है। साथ ही ये फायदे आम जनता को भी बहुत पसंद आएंगे।

मसलन, नोटबंदी की वजह से देश में ब्याज दरों में गिरावट का एक सिलसिला शुरु होने की बात है। इसकी शुरुआत हो गई है। आगे ब्याज दरों में और कमी होगी। इसी तरह से रियल एस्टेट यानी आवासों की कीमतों को लेकर अनुमान लगाया गया है कि इसमें कमी होगी।

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इसके प्रमाण भी मिल रहे हैं। आठ शहरों में मकानों की कीमतों की सूची बताती है कि प्रापर्टी की कीमतें घटी हैं। जहां तक भ्रष्टाचार की बात है तो सर्वेक्षण में यह बात भरोसे से नहीं कही गई है कि नोटबंदी से भ्रष्टाचार पर काबू पाया जा सकेगा। हां, इसने यह जरुर कहा है कि अगर भ्रष्टाचार रुकी तो इससे अर्थव्यवस्था के आकार को बढ़ाने मदद मिलेगी। काले धन का खुलासा होना और उस पर कर प्राप्त होना एक अन्य पहलू है जिससे अर्थव्यवस्था लाभान्वित होगी।

सरकार की स्वीकारोक्ति

1. देश की आर्थिक विकास दर में 0.50 फीसद तक की कमी

2. मांग घटी, नौकरियां गई, कृषि आय को हुआ नुकसान

3. उद्योगों ने निवेश रोका तो लोगों ने खरीदारी पर लगाई लगाम

4. सामाजिक उथल पुथल

भविष्य के फायदे

1. बैंकों में जमा राशि बढ़ने से ब्याज दरों में आएगी गिरावट

2. आवासों समेत हर तरह के रियल एस्टेट की कीमतें होंगी कम

3. महंगाई की स्थिति में और सुधार होने के आसार

4. भ्रष्टाचार पर लगी लगाम तो जीडीपी को होगा फायदा

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ने हाल ही में कहा था कि फरवरी, 2017 तक नकद आपूर्ति की स्थिति सामान्य हो जाएगी लेकिन केंद्र सरकार का मानना है कि नोटबंदी से पहले वाली स्थिति अप्रैल, 2017 तक ही हो पाएगी। आर्थिक सर्वेक्षण में इस की भी आशंका जताई गई है कि आने वाले दिनों में बड़े पैमाने पर बैंक खातों से नकदी निकाली जाएगी। हालांकि इसके बावजूद बैंकों में जमा राशि का स्तर नवंबर, 2016 से पहले के मुकाबले काफी अच्छा रहेगा।


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