सर्जिकल स्ट्राइक की प्लानिंग में कई लोग थे शामिल, 1 भारतीय जवान हुआ था घायल
सर्जिकल स्ट्राइक को एक साल पूरा हो गया है। इस ऑपरेशन का अहम हिस्सा रहे सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुडा ने बताया कि इस सैन्य अभियान में एक भारतीय जवान घायल हुआ था।
नई दिल्ली, आइएएनएस। भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक को एक साल पूरा हो गया है। उड़ी में आतंकवादी हमले के बाद पिछले साल 18 सितंबर को सर्जिकल स्ट्राइक करके पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया गया। सर्जिकल स्ट्राइक का असल मकसद यही था। उड़ी हमले में 19 लोग मारे गए थे, कश्मीर में पिछले 20 साल में यह सबसे बड़ा आतंकी हमला था। सर्जिकल स्ट्राइक का अहम हिस्सा रहे सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुडा ने एक समाचार चैनल को बताया कि पिछले साल सर्जिकल स्ट्राइक में एक साथ कई ठिकानों को निशाना बनाया गया।
उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर क्षेत्र के बाहर आतंकियों के लॉचिंग पैड पर निशाना था। एक साथ कई ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की गई। पूरी तैयारी के साथ की गई सर्जिकल स्ट्राइक पर पहली बार सरकार ने बोला कि हम इसे सार्वजनिक रूप से स्वीकार करेंगे। इसकी प्लानिंग में सेना के कई लोग शामिल थे।
पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुडा ने कहा, 'मैं कहूं कि तनाव नहीं था तो यह पूरा सच नहीं है। हमें पता था कि अगले दिन इसकी घोषणा होगी। सभी टारगेट पर हमले की टाइमिंग अलग थी। जटिल ऑपरेशन था इसलिए तैयारी ज्यादा करनी पड़ी। पाक की जवाबी कार्रवाई को लेकर भी प्लानिंग की थी। बाद में अपनी लाज बचाने के लिए ही पाक ने इसे नकारा। शायद पाकिस्तान इसे तूल नहीं देना चाहता था।
उन्होंने बताया कि इस सैन्य अभियान में एक भारतीय जवान घायल हुआ। नियंत्रण रेखा के भारतीय सीमा पर एक बारूदी सुरंग फटने से उसका पैर उड़ गया। हालांकि नियंत्रण रेखा के पार पाकिस्तानी कब्जे वाली सीमा में ऐसी कोई स्थिति नहीं बनी थी। हुडा ने कहा कि हवाई हमले के बजाय हमने सीमा पार जाना बेहतर समझा, ताकि नियंत्रण रेखा की दूसरी तरफ टेरर लांच पैड नष्ट किए जा सकें। मुझे लगता है कि कई बार कड़ा संदेश देने की जरूरत होती है। इस बार एक कड़ा संदेश उस तरफ भेजा गया है।
हुडा ने बताया कि भारतीय सेना के म्यांमार की सीमा में घुसकर आतंकी ठिकाने नष्ट करने के बाद पाकिस्तान ने कहना शुरू कर दिया था कि पाकिस्तान म्यांमार नहीं है। ऐसा हुआ तो हम भारत को मुंहतोड़ जवाब देंगे। लेकिन जैसे ही सर्जिकल स्ट्राइक की गई पाकिस्तान की बोलती ही बंद हो गई। यह एक तरह से भारत की नैतिक जीत भी थी।
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