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महबूबा मुफ्ती की हिरासत पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- कैद हमेशा के लिए नहीं हो सकती, बताओ कब तक

फारूख अब्दुल्ला सहित मुफ्ती और कश्मीर के कई अन्य नेताओं को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद नजरबंद कर दिया गया जो तत्कालीन राज्य को विशेष दर्जा देते थे। पूर्व जे-के सीएम की नजरबंदी को 5 मई को तीन महीने के लिए बढ़ा दिया गया था।

By Nitin AroraEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2020 08:15 AM (IST)Updated: Tue, 29 Sep 2020 01:36 PM (IST)
महबूबा मुफ्ती की हिरासत पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- कैद हमेशा के लिए नहीं हो सकती, बताओ कब तक
महबूबा मुफ्ती की रिहाई पर SC में सुनवाई हुई। फाइल फोटो।

नई दिल्ली, एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की रिहाई की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की। महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत अपनी मां को बंदी बनाए जाने के खिलाफ दायर याचिका में संशोधन के लिए सर्वाेच्च न्यायालय से आग्रह किया था। इसपर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए जम्मू-कश्मीर प्रशासन से जवाब मांगा। पूछा कि पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत अधिकतम कितनी हिरासत हो सकती है? महबूबा को कितने समय तक हिरासत में रखा जाएगा?

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सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता से पूछा कि कब तक और किस आदेश के तहत केंद्र पूर्व J & K सीएम महबूबा मुफ्ती को हिरासत में रखना चाहता था। इसपर एसजी तुषार मेहता ने कुछ समय मांगा और कहा, हम एक सप्ताह के भीतर इन मुद्दों पर अदालत को जवाब देंगे। वहीं, आपको बता दें कि इल्तिजा ने सर्वोच्च अदालत से आग्रह किया था कि उनकी मां को राजनीतिक गतिविधियां शुरू करने की इजाजत दी जाए। इसपर कोर्ट ने कहा कि पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती को पार्टी की बैठकों में भाग लेने के लिए अधिकारियों से अनुरोध करना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नजरबंदी हमेशा के लिए नहीं हो सकती है। वहीं, SC ने इल्तिजा मुफ्ती, उनके अंकल को उनकी मां महबूबा मुफ्ती से मिलने की इजाजत दे दी है। बता दें कि जुलाई में, पीएसए के तहत मुफ्ती की नजरबंदी तीन महीने बढ़ा दी गई थी।

फारूख अब्दुल्ला सहित मुफ्ती और कश्मीर के कई अन्य नेताओं को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद नजरबंद कर दिया गया, जो तत्कालीन राज्य को विशेष दर्जा देते थे। इससे पहले, पूर्व जे-के सीएम की नजरबंदी को 5 मई को तीन महीने के लिए बढ़ा दिया गया था। फारूक और बेटे उमर अब्दुल्ला को मार्च में नजरबंदी से रिहा कर दिया गया था।

बता दें कि इल्तिजा ने याचिका दायर करते हुए कहा था कि उनकी मां एक राजनीतिक पार्टी की अध्यक्ष हैं। इसलिए उन्हें अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करने करने दिया जाए। उन्हें अपने लोगों, पार्टी के पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं और आम लोगों से मिलने-बातचीत करने की छूट दी जाए। उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्र समेत विभिन्न स्थलों का दौरा करने की अनुमति दी जाए ताकि वह लोगों के बीच बैठकर बात कर सकें। महबूबा को पांच अगस्त 2019 को एहतियातन हिरासत में लिया गया था। इसके बाद इसी साल फरवरी में उन्हें पीएसए के तहत बंदी बना लिया गया।

इल्तिजा ने कहा था कि उन्होंने अपनी मां को पीएसए के तहत बंदी बनाए जाने के फैसले को सर्वाेच्च न्यायालय में चुनौती दी है। इसमें उन्होंने अपील की कि सर्वोच्च अदालत जम्मू कश्मीर प्रदेश प्रशासन को निर्देश दे कि महबूबा मुफ्ती से उनके परिवार के लोगों और रिश्तेदारों को हफ्ते में पांच दिन मिलने का मौका दिया जाए। इसके अलावा उनके घर का लैंडलाइन फोन बहाल किया जाए। नई याचिका में कहा गया है कि बंदी बनाए जाने के लिए जारी डोजियर बेकार, असंवैधानिक और आधारहीन है। कानून का दुरुपयोग करते हुए जन सुरक्षा अधिनियम की धारा 83 की उपधारा 3 बी का भी उल्लंघन किया गया है।

इल्तिजा ने कहा कि उन्होंने सर्वाेच्च न्यायालय के संज्ञान में लाने का प्रयास किया है कि नोटिस के बाद भी जम्मू कश्मीर प्रशासन ने कोई जवाब दाखिल नहीं किया है। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री के साथ किए जा रहे व्यवहार को भी अदालत के संज्ञान में लाने का प्रयास कर रहे हैं।


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