Move to Jagran APP

सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि घरेलू हिंसा कानून लागू होगा या वरिष्ठ नागरिक कानून, केस की सुनवाई में अहम टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि घरेलू हिंसा कानून में बहू को ससुराल के साझा घर में रहने का अधिकार है या फिर वरिष्ठ नागरिक भरण पोषषण और कल्याण कानून (सीनियर सिटीजन एक्ट) में शांति से रहने के अधिकार के तहत ससुर को बहू से घर खाली कराने का अधिकार है।

By Jagran NewsEdited By: Amit SinghPublished: Wed, 05 Oct 2022 04:30 AM (IST)Updated: Wed, 05 Oct 2022 04:30 AM (IST)
सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि घरेलू हिंसा कानून लागू होगा या वरिष्ठ नागरिक कानून, केस की सुनवाई में अहम टिप्पणी
बहू ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मांगा ससुराल में रहने का अधिकार

माला दीक्षित, नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि घरेलू हिंसा कानून में बहू को ससुराल के साझा घर में रहने का अधिकार है या फिर वरिष्ठ नागरिक भरण पोषषण और कल्याण कानून (सीनियर सिटीजन एक्ट) में शांति से रहने के अधिकार के तहत ससुर को बहू से घर खाली कराने का अधिकार है। निचली अदालत और हाई कोर्ट ने बहू को ससुर का घर खाली करने का आदेश दिया है जबकि बहू ने घरेलू हिंसा कानून में ससुराल के साझा घर में रहने के हक की दुहाई देते हुए ससुर के घर में बने रहने का आदेश मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने बहू की याचिका पर नोटिस जारी किया है।

prime article banner

हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती

बहू ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के 12 सितंबर 2022 के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है जिसमे बहू को सात अक्टूबर तक ससुर का घर खाली करने का आदेश दिया गया है। हाई कोर्ट ने पति की ओर से दिए गए इस प्रस्ताव पर बहू को ससुर का घर खाली करने का आदेश दिया था कि वह याचिकाकर्ता पत्नी को 26 हजार रुपये हर महीने उसी तरह के घर में किराए पर रहने के लिए देगा। हाई कोर्ट ने आदेश में कहा था कि बहू की ओर से पेश वकील ने पति के प्रस्ताव को स्वीकार किया है और दोनों की इस पर सहमति है। हाई कोर्ट ने बहू की एडीशनल डिस्टि्रक्ट मजिस्ट्रेट (एडीएम) पटियाला का 7 सितंबर 2021 का आदेश रद करने की मांग नहीं मानी थी जिसमें एडीएम ने बहू को ससुर का घर खाली करने का आदेश दिया था। अब बहू घरेलू हिंसा कानून में ससुराल के साझा घर में रहने का अधिकार मांगते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंची है।

सुप्रीम कोर्ट में लगाई थी गुहार

बहू की याचिका 30 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति अनिरद्ध बोस और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ में सुनवाई के लिए लगी थी। पीठ ने बहू के वकील ऋषि मल्होत्रा की दलीलें सुनने के बाद याचिका पर नोटिस जारी किया। बहू की याचिका में सास, ससुर, पति के अलावा पंजाब सरकार व पटियाला के डीएम व एडीएम को भी पक्षकार बनाया गया है। याचिका में कानूनी सवाल उठाया गया है कि क्या घरेलू हिंसा कानून में मिला अधिकार वरिष्ठ नागरिक कानून 2007 के ऊपर माना जाएगा। दूसरा कानूनी सवाल है कि क्या मौजूदा मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए याचिकाकर्ता को उसके ससुराल के साझा घर में रहने की इजाजत दी जा सकती है।

ये है मामला

पंजाब के पटियाला के इस मामले में याचिकाकर्ता बहू और उसके पति के बीच विवाद चल रहा है। घरेलू हिंसा कानून के तहत बहू ने केस दर्ज कर रखा है। इसके अलावा तलाक का मामला भी लंबित है। इसी बीच ससुर ने दीवानी अदालत में मुकदमा दाखिल कर बेटे और बहू से अपना घर खाली कराने की मांग की थी। उनका कहना था कि बेटे और बहू के बीच बहुत झगड़ा होता है जिससे वे डिस्टर्ब होते हैं। इसके अलावा ससुर ने वरिष्ठ नागरिक कानून में सक्षम अथारिटी के समक्ष भी अर्जी दाखिल कर यही आधार देते हुए घर खाली कराने का अनुरोध किया था। एडीएम पटियाला ने 7 सितंबर 2021 को ससुर की अर्जी स्वीकार करते हुए बहू और बेटे को 30 दिन में मकान खाली करने का आदेश दिया। साथ ही कहा कि ससुर का घर खाली करने से पहले पति अपनी पत्नी के लिए किराए के घर की व्यवस्था करेगा और बच्चों की पढ़ाई का भी खर्च उठाएगा। बहू ससुर का घर खाली करने के आदेश के खिलाफ पहले हाई कोर्ट गई थी और अब सुप्रीम कोर्ट पहुंची है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.