अनुसूचित जनजाति को 100% आरक्षण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला रखा सुरक्षित
बता दें हाई कोर्ट ने एसटी को 100 फीसद आरक्षण देने के प्रदेश सरकार के फैसले को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को संविधान पीठ के हवाले कर दिया था।
नई दिल्ली, एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कानून के इस सवाल पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया कि अनुसूचित इलाकों के स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति में अनुसूचित जनजाति (एसटी) को 100 फीसद आरक्षण दिया जा सकता है अथवा नहीं।जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस मामले में सुनवाई पूरी कर ली।
दरअसल, चेबरोलू लीला प्रसाद नामक याचिकाकर्ता ने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। हाई कोर्ट ने एसटी को 100 फीसद आरक्षण देने के प्रदेश सरकार के फैसले को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को संविधान पीठ के हवाले कर दिया था। सुनवाई के दौरान आंध्र प्रदेश की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन का कहना था कि अपील को खारिज कर दिया जाए अथवा जो नियुक्तियां हो चुकी हैं उसके फैसले को पलटा नहीं जाए।
दरअसल, आंध्र प्रदेश सरकार ने अनुसूचित इलाकों में साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए शिक्षकों के 1,500 पद सृजित किए थे और अधिसूचना के जरिये उन पर एसटी वर्ग के शिक्षकों की नियुक्ति की थी।
पदोन्नति में आरक्षण का मामला
पदोन्नति में आरक्षण को लेकर उठे विवाद के बड़ा बवाल बनने से पहले ही केंद्र सरकार इसका रास्ता तलाशने में जुट गई है। उन सारे कानूनी पहलुओं को लेकर विचार हो रहा है जो संभव है। इसमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने और संसद में इसे लेकर विधेयक लाने जैसे विकल्पों को भी प्रमुखता से रखा गया है।
इस बीच सरकार ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय को इससे जुडे कानूनी पहलुओं को जुटाने के काम में लगाया है। साथ ही उन राज्यों से भी संपर्क करने को कहा है, जहां पदोन्नति में आरक्षण को लेकर विवाद की स्थिति बनी हुई है। मौजूदा समय में अकेले उत्तराखंड ही नहीं,बल्कि देश के कई राज्यों में पदोन्नति में आरक्षण को लेकर विवाद चल रहा है। इनमें मध्य प्रदेश, बिहार जैसे राज्य शामिल है।