Move to Jagran APP

तीन तलाक से जुड़ी 10 बड़ी बातें, सुनवाई के दौरान सिब्‍बल को याद आए 'राम'

11 मई 2017 को तीन तलाक पर संविधान बेंच ने सुनवाई शुरू की। सुनवाई लगातार 6 दिन चली। 6 दिनों की लंबी सुनवाई के बाद 18 मई को कोर्ट ने इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

By Tilak RajEdited By: Published: Tue, 22 Aug 2017 12:55 PM (IST)Updated: Tue, 22 Aug 2017 02:14 PM (IST)
तीन तलाक से जुड़ी 10 बड़ी बातें, सुनवाई के दौरान सिब्‍बल को याद आए 'राम'
तीन तलाक से जुड़ी 10 बड़ी बातें, सुनवाई के दौरान सिब्‍बल को याद आए 'राम'

नई दिल्‍ली, जेएनएन। देश की सर्वोच्‍च अदालत ने एक बार में तीन तलाक के मुद्दे पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए इसे असंवैधानिक करार दिया है। साथ ही केंद्र सरकार से इस पर छह महीने के भीतर कानून बनाने के लिए कहा है। मुस्लिम महिलाओं में कोर्ट के फैसले को लेकर खुशी की लहर दौड़ गई है। आइए आपको बताते हैं  तीन तलाक से जुड़ी 10 बड़ी बातें...!

loksabha election banner

-सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों जस्टिस कुरियन जोसेफ़, जस्टिस आरएएफ़ नारिमन और जस्टिस यूयू ललित ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया और इसे खारिज कर दिया। कोर्ट ने केंद्र सरकार को छह महीने में इस पर कानून बनाने की बात कही है।

-कोर्ट ने तीन तलाक को संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करार दिया। जजों ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 14 समानता का अधिकार देता है।

-चीफ जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस नजीर ने अल्पमत में दिए फैसले में कहा कि तीन तलाक धार्मिक प्रैक्टिस है, इसलिए कोर्ट इसमें दखल नहीं देगा। हालांकि दोनों जजों ने माना कि यह पाप है, इसलिए सरकार को इसमें दखल देना चाहिए और तलाक के लिए कानून बनना चाहिए। 

-केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद 7 अक्टूबर, 2016 को राष्ट्रीय विधि आयोग ने जब इस मसले पर लोगों की राय मांगी तो इस मुद्दे पर देश में एक नई बहस की शुरुआत हुई। दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर खुद संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की। बाद में इससे संबंधित छह अन्य याचिकाएं भी दाखिल हुईं जिनमें से पांच में तीन तलाक को खत्म करने की मांग की गई। 

-30 मार्च 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने तय किया कि इससे जुड़ी सभी याचिकाओं पर सुनवाई पांच जजों की संविधान पीठ करेगी। अदालत सभी पहलुओं पर विचार करेगी। 

-केस की सुनवाई करने वाले पांचों जज अलग-अलग धर्म से संबंधित हैं। चीफ जस्टिस जे एस खेहर सिख समुदाय से हैं। जस्टिस कुरियन जोसेफ ईसाई हैं। आरएफ नरीमन पारसी हैं और यू.यू. ललित हिंदू और अब्दुल नजीर मुस्लिम समुदाय से हैं।

-केस की सुनवाई के दौरान ऑल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से दलील दी गई कि तीन तलाक इस्लाम का मूल हिस्सा नहीं है। कुरआन में तलाक के लिए पूरी प्रक्रिया बताई गई है। 

-ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि संविधान पर्सनल लॉ को संरक्षित करता है। उन्होंने इसे आस्था का विषय बताते हुए इसकी तुलना भगवान राम के अयोध्या में जन्म से की। 

-इसमें कोई दो राय नहीं कि ज्‍यादातर लोग तीन तलाक के खिलाफ हैं। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने कपिल सिब्बल से पूछा कि क्या किसी महिला को निकाह के समय यह अधिकार दिया जाए कि वह तीन तलाक को स्वीकार नहीं कर सकती? 

-गौरतलब है कि 11 मई 2017 को तीन तलाक पर संविधान बेंच ने सुनवाई शुरू की। सुनवाई लगातार 6 दिन चली। 6 दिनों की लंबी सुनवाई के बाद 18 मई को कोर्ट ने इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। 22 अगस्‍त को कोर्ट ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया।  

यह भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला- आज से एक साथ तीन तलाक असंवैधानिक


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.