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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मानसिक रूप से बीमार लोगों को विशेष देखभाल की जरूरत, दुष्कर्म मामले में सजा बरकरार

सुप्रीम कोर्ट ने मानसिक रूप से दिव्यांग महिला के साथ दुष्कर्म करने वाले व्यक्ति की सजा को बरकरार रखा। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने 2016 में उसे दुष्कर्म का दोषी मानते हुए सात साल की सजा सुनाई थी।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sat, 05 Dec 2020 06:42 PM (IST)Updated: Sat, 05 Dec 2020 06:42 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मानसिक रूप से बीमार लोगों को विशेष देखभाल की जरूरत, दुष्कर्म मामले में सजा बरकरार
शीर्ष अदालत ने दिव्यांग महिला के साथ दुष्कर्म करने वाले व्यक्ति की सजा को बरकरार रखा।

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मानसिक रूप से बीमार लोगों को विशेष देखभाल और प्यार की जरूरत होती है, उनका शोषण नहीं किया जाना चाहिए। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने मानसिक रूप से दिव्यांग महिला के साथ दुष्कर्म करने वाले व्यक्ति की सजा को बरकरार रखा।

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दुष्कर्म मामले में हाई कोर्ट की सुनाई सजा को रखा बरकरार

जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आरएस रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के सितंबर, 2016 के फैसले में दोषी ठहराए गए व्यक्ति की अपील यह कहते हुए खारिज कर दी कि उसने पीड़ित महिला की मानसिक बीमारी का बेजा फायदा उठाते हुए उसका शोषण किया था। उसे बरी करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था और उसे दुष्कर्म का दोषी मानते हुए सात साल की सजा सुनाई थी।

शीर्ष अदालत ने कहा- दोषी ठहराया गया व्यक्ति पीड़िता के बच्चे का जैविक पिता है

शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि डीएनए रिपोर्ट के मुताबिक दोषी ठहराया गया व्यक्ति 19 वर्षीय पीड़िता के बच्चे का जैविक पिता है। जब यह मामला सामने आया था तो पीड़िता 31 सप्ताह की गर्भवती थी और उसने जून, 2008 में शिमला में एक बच्चे को जन्म दिया था।


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