Move to Jagran APP

प्रवासी मजदूरों को मुफ्त उनके घर पहुंचाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका, आरोप- वसूला जा रहा किराया

सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल करके फंसे प्रवासी मजदूरों को मुफ्त में उनके घर पहुंचाने के लिए रेलवे और राज्य सरकारों को निर्देश देने की गुजारिश की गई है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 04 May 2020 08:47 PM (IST)Updated: Mon, 04 May 2020 08:49 PM (IST)
प्रवासी मजदूरों को मुफ्त उनके घर पहुंचाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका, आरोप- वसूला जा रहा किराया
प्रवासी मजदूरों को मुफ्त उनके घर पहुंचाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका, आरोप- वसूला जा रहा किराया

नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट से लॉकडाउन के चलते फंसे प्रवासी मजदूरों को मुफ्त में उनके घर पहुंचाने के लिए रेलवे और राज्य सरकारों को निर्देश देने का आग्रह किया गया है। सोमवार को दायर पूरक हलफनामा में कहा गया है कि प्रवासी मजदूरों की कोई गलती नहीं, उनकी कोई कमाई भी नहीं हो रही है और उन्हें किसी तरह की आर्थिक सहायता भी नहीं मिल रही है, जबकि उनसे घर जाने के लिए ट्रेन का भारी भरकम किराया वसूला जा रहा है।

loksabha election banner

आइआइएम, अहमदाबाद के पूर्व प्रभारी निदेशक जगदीप एस. छोकर और वकील गौरव जैन ने यह पूरक हलफनामा दायर किया है। याचिका में शीर्ष अदालत से आग्रह किया गया है कि वह प्रवासी मजदूरों की कोरोना जांच के बाद घर भेजने के लिए संबंधित प्राधिकरणों को निर्देश दे। मजदूरों को ट्रेन या बसों से उनके घर भेजने के लिए रेलवे और राज्य सरकारों द्वारा किराया नहीं लिया जाना चाहिए।

याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि मजदूरों से आठ सौ रूपये तक किराया वसूला जा रहा है, जो बहुत ज्यादा और अनुचित है। मजदूरों की कोई गलती नहीं है, इसलिए यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि रेलवे और राज्य सरकारें मजदूरों से ट्रेन या बस का किराया नहीं ले सकती हैं। पूरक हलफनामा में यह भी कहा गया है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा तीन मई को जारी पत्र में प्रवासी मजदूरों की जो परिभाषा दी गई है, वह बहुत ही संकीर्ण है।

इसमें प्रवासी मजदूर उन्हीं को माना गया है, जो लॉकडाउन से ठीक पहले अपने पैतृक स्थानों से आए थे और पाबंदियों के चलते फंस गए। जबकि, हजारों-लाखों ऐसे लोग हैं, जो मजदूरी, घरों में काम, सड़क किनारे ठेला और फैक्टि्रयों में काम करके रोजी रोटी कमाते हैं और लॉकडाउन के चलते उनके पास कोई काम नहीं रह गया है। अदालत ने 27 अप्रैल को इनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से जवाब मांगा था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.