पुलिस सुधारों सहित कई मुद्दों से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करेगा SC कोर्ट, 2006 के फैसले से जुड़ा है मामला
सुप्रीम कोर्ट कुछ राज्यों में डीजीपी की तदर्थ नियुक्ति पर दो सप्ताह बाद विचार करेगा। पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह की याचिका पर भी विचार होगा जिसमें डीजीपी चयन के लिए मुख्यमंत्री विपक्ष के नेता और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की सदस्यता वाले आयोग की मांग की गई है। अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने डीजीपी नियुक्ति में सीबीआइ निदेशक की तरह तीन सदस्यीय समिति गठित करने का सुझाव दिया।

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट सोमवार को कुछ राज्यों में डीजीपी की तदर्थ नियुक्ति सहित कई मुद्दों पर दो सप्ताह बाद विचार करने पर सहमत हो गया।
चीफ जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ ने कहा कि वह याचिकाकर्ता एवं पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह की उस याचिका पर भी विचार करेगी जिसमें उन्होंने एक ऐसी व्यवस्था लागू करने की मांग की है जिसमें मुख्यमंत्री, विपक्ष के नेता और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की सदस्यता वाला एक आयोग पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) का चयन करे।
'नहीं किया गया प्रक्रिया का पालन'
अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि सीबीआइ निदेशक की नियुक्ति की तरह, डीजीपी के रूप में एक उपयुक्त व्यक्ति की नियुक्ति के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की जा सकती है। पीठ ने वरिष्ठ वकील अंजना प्रकाश की दलीलों पर भी गौर किया, जिन्होंने कहा था कि झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता की नियुक्ति में उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। केंद्र सरकार के नियमों के तहत, 60 वर्ष की आयु पूरी होने पर अनुराग गुप्ता 30 अप्रैल को सेवानिवृत्त होने वाले थे। लेकिन, राज्य सरकार ने उनके कार्यकाल विस्तार के लिए केंद्र को पत्र लिखा।
2006 के फैसले से संबंधित हैं ये याचिकाएं
चीफ जस्टिस ने कहा, ''ये सभी मामले महत्वपूर्ण हैं और इनमें समय लगेगा।'' चीफ जस्टिस ने विभिन्न पक्षों की ओर से पेश वकीलों से कहा कि वे अपनी याचिकाओं की प्रतियां वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन को उपलब्ध कराएं, जो न्यायमित्र के रूप में पीठ की सहायता करेंगे।
एक पक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 2006 के फैसले और उसके बाद के निर्देशों का अक्षरश: पालन नहीं किया गया है। ये याचिकाएं पुलिस सुधारों पर सुप्रीम कोर्ट के 2006 के फैसले के कार्यान्वयन से संबंधित हैं, जिसमें जांच और कानून-व्यवस्था से जुड़े कर्तव्यों को अलग करने जैसे कदमों की सिफारिश की गई थी।
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