Move to Jagran APP

Places of Worship Act: पूजा स्थल अधिनियम को चुनौती देने वाली छह याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज करेगा सुनवाई

Supreme Court on provisions of Places of Worship Act सुप्रीम कोर्ट ने पूजा स्थल कानून के कुछ प्राविधानों की वैधता को चुनौती देने वाली छह याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा। इन याचिकाओं को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 28 Jul 2022 09:47 PM (IST)Updated: Fri, 29 Jul 2022 01:50 AM (IST)
Places of Worship Act: पूजा स्थल अधिनियम को चुनौती देने वाली छह याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज करेगा सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट पूजा स्थल कानून के प्राविधानों की वैधता को चुनौती देने वाली छह याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा।

नई दिल्‍ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पूजा स्थल कानून (Places of Worship Special Provisions Act, 1991) के कुछ प्राविधानों की वैधता को चुनौती देने वाली छह याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा। इन याचिकाओं को न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ (Justices DY Chandrachud) और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस (Aniruddha Bose) की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

prime article banner

समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक शीर्ष अदालत (Supreme Court) सेवानिवृत्त सेना अधिकारी अनिल काबोत्रा (Anil Kabotra), अधिवक्ता चंद्रशेखर (Chandra Shekhar) और रुद्र विक्रम सिंह (Rudra Vikram Singh), देवकीनंदन ठाकुर जी (Devkinandan Thakur Ji), स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती (Jeetendranand Saraswati) और भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद चिंतामणि मालवीय (Chintamani Malviya) द्वारा दायर याचिकाओं की समीक्षा करेगी। 

अनिल काबोत्रा (Anil Kabotra) ने 1991 के अधिनियम की धारा 2, 3 और 4 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए कहा है कि ये धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन करती हैं। अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे के जरिये दायर याचिका के मुताबिक, 'यह अधिनियम बनाकर केंद्र ने मनमाने ढंग से एक तर्कहीन पूर्व की कटआफ तिथि तय की है, घोषित किया है कि पूजा स्थलों का चरित्र वैसा ही रखा जाएगा जैसा 15 अगस्त, 1947 को था और बर्बर आक्रमणकारियों व कानून तोड़ने वालों द्वारा किए गए अतिक्रमण के विरुद्ध अदालत में कोई मुकदमा या कार्यवाही नहीं होगी। साथ ही ऐसी कार्यवाही समाप्त हो जाएगी।'

याचिका में कहा गया है कि इससे तो बर्बर आक्रमणकारियों और कानून तोड़ने वालों की ओर से किए गए अतिक्रमण के खिलाफ कार्यवाही की संभावना ही समाप्त हो जाएगी। अनिल काबोत्रा (Anil Kabotra) की ओर से पूजा स्थल कानून (Places of Worship Special Provisions Act, 1991) की धारा 2, 3 और 4 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए कहा गया है कि ये धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन करती हैं। मामले में अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की याचिका सहित कई अन्य याचिकाएं पहले से ही शीर्ष अदालत में लंबित हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.