उम्मीदवार के आपराधिक ब्योरे के प्रचार पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई, 14 मार्च को होगी सुनवाई
कोर्ट ने आदेश का पालन न होने का आरोप लगाने वाली अवमानना याचिका की प्रति चुनाव आयोग को देने का आदेश देते हुए मामले को 14 मार्च को सुनवाई पर लगाए जाने का आदेश दिया।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। उम्मीदवार द्वारा अखबार और टीवी चैनल में अपने आपराधिक ब्योरे का प्रचार करने और राजनैतिक दल द्वारा उम्मीदवार के आपराधिक रिकार्ड का ब्योरा वेबसाइट पर डाले जाने के सुप्रीम कोर्ट के गत वर्ष के आदेश का पूरी तरह पालन हुआ है कि नहीं इस पर कोर्ट सुनवाई करेगा। मंगलवार को कोर्ट ने आदेश का पालन न होने का आरोप लगाने वाली अवमानना याचिका की प्रति चुनाव आयोग को देने का आदेश देते हुए मामले को 14 मार्च को सुनवाई पर लगाए जाने का आदेश दिया।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने भाजपा नेता व वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय की ओर से चुनाव आयोग के खिलाफ दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान दिये। उपाध्याय ने आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग कोर्ट के गत वर्ष 25 नवंबर के आदेश पर पूरी तरह अमल करने में नाकाम रहा है। उन्होंने आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए कोर्ट से याचिका पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया। कहा कि पिछली बार पांच राज्यों में हुए चुनावों में कोर्ट के आदेशों पर पूरी तरह अमल नहीं हुआ था अब फिर चुनाव आ गए हैं और 18 मार्च से नामांकन शुरू होने वाले हैं ऐसे हैं मामले पर जल्दी सुनवाई होनी चाहिए। कोर्ट ने अनुरोध स्वीकार करते हुए याचिका की प्रति चुनाव आयोग के सचिव को देने का आदेश दिया और मामले को 14 मार्च को सुनवाई पर लगा दिया।
उपाध्याय ने याचिका में कहा है कि कोर्ट का आदेश था कि उम्मीदवार कम से कम तीन बार अखबार और टीवी चैनल में प्रचार करके अपनी आपराधिक पृष्ठिभूमि का ब्योरा देंगे। कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग ने इस बारे में एक अधिसूचना तो जारी की लेकिन उसमें यह नहीं बताया गया है कि किन किन अखबारों में उम्मीदवार ये प्रचार करेंगे और कौन से न्यूज चैनलों पर किस टाइम प्रचार करेंगे। ऐसे में उम्मीदवार किसी भी छोटे मोटे अखबार में ब्योरा देकर खानापूर्ति कर रहे है। टीवी चैनल में समय तय न होने के कारण देर रात इस बारे में प्रचार किया जाता है। उनकी मांग है कि आयोग राज्यवार अखबारों की सूची देकर बताये कि इनमें प्रचार किया जाएगा और इन न्यूज चैनलों पर इस तय समय पर प्रचार होगा। यह भी मांग है कि राजनैतिक दल उम्मीदवार की आपराधिक पृष्ठिभूमि का ब्योरा नामांकन के 24 घंटे के अंदर वेबसाइट के मुख्य पृष्ठ पर डालें और सात दिन के भीतर तीन बार अखबार में और तीन बार समाचार चैनलों पर दें। उपाध्याय की मांग है कि जो लोग इन निर्देशों का पालन नहीं करते उनका नामांकन रद हो और इसे चुनाव का भ्रष्ट तरीका माना जाए। आदेश न मानने वाले राजनैतिक दलों पर भी कार्रवाई हो।
सुप्रीम कोर्ट ने गत वर्ष 25 सितंबर को दिये गए फैसले में राजनीति में बढ़ते अपराधीकरण पर चिंता जताते हुए संसद से राजनीति में अपराधियों का प्रवेश रोकने के लिए कानून बनाने को कहा था। साथ ही उम्मीदवार की आपराधिक पृष्ठिभूमि के व्यापक प्रचार के बारे में दिशानिर्देश दिये थे ताकि मतदाओं को उनके बारे में जानकारी हो सके। कोर्ट ने कहा था कि उम्मीदवार के बारे में जानना मतदाता का अधिकार है।
ये थे कोर्ट के दिशा निर्देश
1- प्रत्येक उम्मीदवार चुनाव आयोग के फार्म को पूरी तरह भरेगा
2- मोटे अक्षरों में लंबित आपराधिक मामलों के बारे में बतायेगा
3- किसी राजनैतिक दल की टिकट पर चुनाव लड़ने वाला उम्मीदवार पार्टी को अपनी आपराधिक पृष्ठभूमि के बारे में बताएगा
4- संबंधित राजनैतिक दल उम्मीदवार की आपराधिक पृष्ठभूमि का ब्योरा बेवसाइट पर डालेगी
5- राजनैतिक दल और उम्मीदवार अखबार और इलेक्ट्रानिक मीडिया में उम्मीदवार की पृष्ठभूमि का व्यापक प्रचार करेंगे। नामांकन दाखिल करने के बाद कम से कम तीन बार ऐसा प्रचार करेंगे।