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परमबीर सिंह को गिरफ्तारी से मिली राहत, सुप्रीम कोर्ट बोला- जांच में करें सहयोग

मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह 48 घंटे में सीबीआई के सामने पेश होने के लिए तैयार हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें गिरफ़्तारी से सुरक्षा प्रदान की और जांच में शामिल होने का निर्देश दिया।

By Neel RajputEdited By: Published: Mon, 22 Nov 2021 08:58 AM (IST)Updated: Mon, 22 Nov 2021 06:40 PM (IST)
परमबीर सिंह को गिरफ्तारी से मिली राहत, सुप्रीम कोर्ट बोला- जांच में करें सहयोग
सौ करोड़ रुपये की वसूली के मामले में मुंबई पुलिस परमबीर सिंह से पूछताछ करना चाहती है

नई दिल्ली, आइएएनएस। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को उनके खिलाफ महाराष्ट्र में दर्ज मामलों में गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान कर दिया। साथ ही शीर्ष अदालत ने उन्हें जांच में शामिल होने का निर्देश भी दिया है।जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंद्रेश की पीठ ने कहा, 'आश्चर्य है, आम आदमी का क्या होगा। मामला जिज्ञासा बढ़ाने वाला बन गया है.. पहले गृह मंत्री और उसके बाद पुलिस आयुक्त..'परमबीर सिंह की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पुनीत बाली ने शीर्ष अदालत को बताया कि उनका मुवक्किल देश में ही है, साथ ही कहा कि महाराष्ट्र पहुंचते ही उनके मुवक्किल की जान को खतरा है।

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इस पर पीठ ने वकील से कहा, 'अगर आप कहते हैं कि आपके मुवक्किल को मुंबई पुलिस से जान का खतरा है तो अन्य लोगों के लिए क्या उम्मीद है।'बाली ने कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ उन सट्टेबाजों और वसूली करने वालों इत्यादि ने एफआइआर दर्ज कराई हैं जिनके खिलाफ उन्होंने कार्रवाई की थी। बाली ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि परमबीर सिंह को सीबीआइ अदालत के किसी अधिकारी के समक्ष पेश होने की अनुमति प्रदान की जाए। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनका मुवक्किल भारत में है, लेकिन आशंका है कि महाराष्ट्र सरकार की ओर से उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और बांबे हाई कोर्ट के समक्ष याचिका में भी मामले सीबीआइ को सौंपने की मांग की गई थी।

विस्तार से दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने कहा कि सिर्फ एक सवाल पर विचार किया जाना है कि सीबीआइ पहले से मामले की जांच कर रही है और क्या अन्य पहलुओं की जांच भी उसे सौंपी जा सकती है। पीठ ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी करने और छह दिसंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। याद दिला दें कि शीर्ष अदालत ने 18 नवंबर को परमबीर के वकील से उनके मुवक्किल की लोकेशन के बारे में पूछा था और बिना लोकेशन जाने उनकी याचिका पर सुनवाई करने से इन्कार कर दिया था।


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