शोपियां फायरिंग मामला: सुप्रीम कोर्ट मेजर आदित्य के पिता की याचिका पर सुनवाई को राजी
शुक्रवार को कर्नल कर्मवीर की ओर से पेश वकील ऐश्वर्या भाटी ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की पीठ के समक्ष याचिका का जिक्र करते हुए मामले पर शीघ्र सुनवाई की मांग की।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट मेजर आदित्य के पिता लेफ्टीनेंट कर्नल कर्मवीर सिंह की अर्जी पर सोमवार को सुनवाई करने को राजी हो गया है। सिंह ने कोर्ट से बेटे आदित्य के खिलाफ दर्ज एफआइआर रद करने की मांग की है। कहा है कि उनके सैन्य अधिकारी बेटे ने जो भी किया वो अपने कर्तव्य निर्वाहन में सरकारी संपत्ति और सैन्य अधिकारियों की रक्षा के लिए किया। राज्य सरकार द्वारा उसके खिलाफ एफआइआर दर्ज किया जाना गलत है उसे निरस्त किया जाए।
श्रीनगर के शोपियां में गत 27 जनवरी को सेना के काफिले पर हिंसक भीड़ का हमला और पत्थरबाजी रोकने के लिए सेना द्वारा की गई फायरिंग में दो लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में जम्मू कश्मीर पुलिस ने सैन्य काफिले की अगुवाई कर रहे मेजर आदित्य के खिलाफ रणवीर पैनल कोड की धारा 336, 307 और 302 के तहत एफआईआर दर्ज की है।
शुक्रवार को कर्नल कर्मवीर की ओर से पेश वकील ऐश्वर्या भाटी ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की पीठ के समक्ष याचिका का जिक्र करते हुए मामले पर शीघ्र सुनवाई की मांग की। पीठ ने अनुरोध स्वीकार करते हुए कहा कि वे इस पर सोमवार को सुनवाई करेंगे। आर्मी अधिकारी कर्मवीर ने अपनी याचिका में कहा है कि वे अपने बेटे और सैन्य अधिकारी के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट आये हैं।
उनका कहना है कि 10 गढ़वाल राइफल्स में तैनात उनके बेटे मेजर आदित्य का नाम गलत और मनमाने ढंग से एफआइआर में शामिल किया गया है। यह घटना सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफस्पा) के तहत आने वाले इलाके में हुई थी। वहां हिंसक भीड़ ने सेना के काफिले पर हमला कर दिया था। मेजर आदित्य अपनी ड्यूटी का निर्वाह कर रहे थे। उनका मकसद सैन्य अधिकारियों और सरकारी संपत्ति की रक्षा करना था। बर्बरता की हदें पार करती भीड़ जब सेना के एक जूनियर अफसर को अपने कब्जे मे लेकर घसीटने लगी और उसकी हत्या पर आमादा हो गई तब हिंसक भीड़ को खदेड़ने के लिए चेतावनी स्वरूप कुछ गोलियां दागी गई थीं।
याचिका में पिछले साल की उस घटना का भी जिक्र किया गया है जिसमें ऐसी ही एक भीड़ ने डीएसपी मोहम्मद अयूब पंडित की हत्या कर दी थी। याचिका में कहा गया है कि जिस तरह से एफआइआर दर्ज की गई और राजनैतिक नेतृत्व और प्रशासनिक अफसरों ने उसे सबके सामने पेश किया उससे राज्य में हालात बहुत ही शत्रुतापूर्ण हो गए हैं। ऐसे में उनके पास सुप्रीम कोर्ट आने के अलावा कोई रास्ता नहीं रह गया था।