चेक बाउंस मामलों के त्वरित निपटान को तंत्र विकसित करेगा सुप्रीम कोर्ट, केंद्र और RBI को भेजा नोटिस
Supreme Court on cheque bounce cases सुप्रीम कोर्ट ने चेक बाउंस के मामलों के त्वरित निपटान के लिए ठोस और समन्वित तंत्र विकसित करने का फैसला किया है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। जिला अदालतों में चेक बाउंस के 35 लाख से ज्यादा मामलों के लंबित होने के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह के मामलों के त्वरित निपटान के लिए 'ठोस और समन्वित' तंत्र विकसित करने का फैसला किया है। शीर्ष अदालत ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस संबंध में एक केस दर्ज किया है और केंद्र व रिजर्व बैंक समेत अन्य हितधारकों से जवाब मांगा है। प्रधान न्यायाधीश एसओ बोबडे और जस्टिस एलएन राव की पीठ ने जनवरी, 2005 में बाउंस हुए दो चेक के मामलों की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।
अदालत ने कहा कि विभिन्न अदालतों में इस तरह के मामले 15 वर्षों से भी अधिक समय से लंबित हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पांच मार्च को दिए अपने आदेश में कहा कि इस तरह के मामलों के त्वरित निपटान में तेजी लाने के लिए कानूनों में बदलाव और इस अदालत के विभिन्न फैसलों के बावजूद निचली अदालतों में बड़ी संख्या में इस तरह के मामले लंबित हैं। हालिया अध्ययन में यह सामने आया है कि इस तरह के 35 लाख मामले लंबित हैं, जो जिला अदालतों में लंबित आपराधिक मामलों की कुल संख्या का 15 फीसद है।
शीर्ष अदालत ने इस मामले में केंद्र सरकार, सभी उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरल, सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस महानिदेशकों, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव, आरबीआइ और इंडियन बैंक एसोसिएशन, मुंबई को नोटिस जारी कर सभी से जवाब दाखिल करने को कहा है। पीठ ने इस मामले में अदालत की मदद के लिए वकील सिद्धार्थ लूथरा और के. परमेश्वर को न्याय मित्र नियुक्त किया है। मामले की अगली सुनवाई 16 अप्रैल को होगी।