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नाबालिग मुस्लिम लड़की की शादी का मामला: SC में आज पिता और पति की पेशी, जानें पूरा विवाद

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को नाबालिग मुस्लिम लड़की के शादी के मामले में सुनवाई होनी है। कोर्ट ने इस मामले में पिता और पति को पेश होने के लिए कहा है।

By Ayushi TyagiEdited By: Published: Tue, 01 Oct 2019 08:47 AM (IST)Updated: Tue, 01 Oct 2019 08:49 AM (IST)
नाबालिग मुस्लिम लड़की की शादी का मामला: SC में आज पिता और पति की पेशी, जानें पूरा विवाद
नाबालिग मुस्लिम लड़की की शादी का मामला: SC में आज पिता और पति की पेशी, जानें पूरा विवाद

नई दिल्ली,एजेंसी। उत्तर प्रदेश की नाबालिग मुस्लिम लड़की के शादी के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सोमवार (1 अक्टूबर) को सुनवाई होनी है। कोर्ट मे इस मामले में लड़की के पिता औप पति को पेश होने के लिए कहा है। दरअसल, नाबालिग लड़की ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। 

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हाई कोर्ट ने उसकी शादी को खारीज कर दिया था। वहीं लड़की ने दावा किया है कि मुस्‍लिम कानून के अनुसार, प्‍यूबर्टी होने के बाद शादी जायज है। जानकारी के लिए बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उसके निकाह को खारीज घोषित करते हुए उसे अयोध्या में  शेल्टर होम भेजने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को सही ठहराया था। लड़की की याचिका पर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की जा रही है। 

याचिका में कही गई ये बात 

लड़की द्वारा दायर की गई याचिका में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। उसने कहा है कि रजोस्वला ( प्यूबर्टी) होने के बाद मुस्लिम लड़की को शादी का अधिकार मिल जाता है। उसका कहना है कि उसने मुस्लिम कानून ते हिसाब ने निकाह किया है और अपनी वैवाहिक जिंदगी जीने के लिए आजाद है। इसी आधार पर उसने विवाह की तय संवैधानिक उम्र 18 साल होने से पहले किए गए अपने विवाह को वैध घोषित करने की गुहार लगाई है। 

ये है पूरा मामला 

दरअसल, किशोरी उत्तर प्रदेश के अयोध्या की रहने वाली है और उसने अपनी मर्जी से इसी साल जून में एक लड़के से विवाह कर लिया था। जिसके बाद लड़की के पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाते हुए कहा था कि एक व्यक्ति और उसके साथियों ने उसकी बेटी का अपहरण कर लिया है। इसके बाद लड़की ने मेजिस्ट्रेट के सामने अपनी बयान दर्ज करवाते हुए कहा था कि उसने अपनी मर्जी से उस व्यक्ति से निकाह किया है और वह उसी के साथ रहना चाहती है।

इसके बाद ट्रायल कोर्ट ने 18 वर्ष की होने तक उसे बाल कल्याण समिति को भेजने का आदेश दिया था। उसने इस फैसले को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन हाई कोर्ट ने भी उसकी याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि वह नाबालिग है और उसके मामले से जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन) एक्ट, 2015 के मुताबिक निपटा जाएगा। लड़की अपने माता-पिता के साथ रहना नहीं चाहती थी इसलिए उसे शेल्टर होम भेजने का फैसला सुनाया गया। इसके बाद लड़की ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जिसपर फिलहाल सुनवाई चल रही है।  


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