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कृषि कानूनों के क्रियान्वयन में संशोधन की विशेषज्ञ समिति की सिफारिश पर सुप्रीम कोर्ट करेगा फैसला

सुप्रीम कोर्ट की विशेषज्ञ समिति ने कृषि कानूनों पर विचार करके और सभी पक्षों से बातचीत के बाद कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। अब इस पर देश की शीर्ष अदालत फैसला करेगी। समिति ने कानूनों के क्रियान्वयन को लेकर संशोधन के कुछ सुझाव दिए हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 21 Apr 2021 08:14 PM (IST)Updated: Thu, 22 Apr 2021 12:03 AM (IST)
कृषि कानूनों के क्रियान्वयन में संशोधन की विशेषज्ञ समिति की सिफारिश पर सुप्रीम कोर्ट करेगा फैसला
सुप्रीम कोर्ट की विशेषज्ञ समिति ने कृषि कानूनों पर अदालत को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।

माला दीक्षित, नई दिल्ली। कृषि कानूनों के विरोध में किसान चार महीने से ज्यादा समय से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हैं। किसानों की मांग है कि तीनों कृषि कानून रद किए जाएं। सुप्रीम कोर्ट की विशेषज्ञ समिति ने कृषि कानूनों पर विचार करके और सभी पक्षों से बातचीत के बाद कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। माना जा रहा है कि रिपोर्ट में समिति ने कानूनों को समग्र रूप में सही माना लेकिन उनके क्रियान्वयन को लेकर समिति ने संशोधन के कुछ सुझाव दिए हैं। रिपोर्ट में एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर भी राय प्रकट की गई है।

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अब शीर्ष अदालत करेगी फैसला 

समिति ने बीती 19 मार्च को अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी थी। अब इस पर कोर्ट को फैसला करना है लेकिन अभी इस पर कोर्ट में सुनवाई की तारीख तय नहीं हुई है। किसानों और सरकार के बीच बातचीत से जब समस्या का समाधान नहीं निकला था तो सुप्रीम कोर्ट ने 12 जनवरी को तीनों कृषि कानूनों के अमल पर अंतरिम रोक लगाते हुए कृषि विशेषज्ञों की एक समिति गठित की थी। कोर्ट ने समिति से कहा था कि वह कृषि कानूनों पर किसानों, सरकार और अन्य संबंधित पक्षों के विचार सुनकर कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल कर अपने सुझाव देगी।

तीनों कृषि कानूनों को सही बताया 

सूत्र बताते हैं कि कृषि विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय समिति ने सुप्रीम कोर्ट को जो सीलबंद रिपोर्ट सौंपी है उसमें किसानों सहित सभी वर्गो का ध्यान रखा गया है। रिपोर्ट किसी को संरक्षित करने और लाभान्वित करने के लिए नहीं है। रिपोर्ट में तीनों कृषि कानूनों को सही बताया गया है लेकिन उनमें कुछ संशोधन के सुझाव दिए गए हैं।

कमेटी ने कई सिफारिशें की 

इन कानूनों को लेकर जो आशंकाएं और चिंताएं जताई गई थीं उन्हें किसानों के हित में कैसे किया जा सकता और कानूनों के क्रियान्वयन को कैसे सही से लागू कर सकते हैं उसके बारे में कमेटी ने सिफारिशें की हैं। व्यवस्था से बिचौलियों को खत्म करने के मुद्दे पर सूत्रों का कहना है कि ऐसा नहीं है। व्यापार बगैर बिचौलिये के हो ही नहीं सकता अगर टाटा कार बेच रहा है तो वह खुद घर-घर जाकर नहीं बेच रहा है। उसके सिस्टम में डीलर्स हैं आउटलेट्स हैं। हर एक चीज में इनकी जरूरत होती है मुद्दा सिर्फ ये है कि इसके जरिये शोषण न हो। 

किसानों को संरक्षण देने के लिए बने व्‍यवस्‍था 

बात सिर्फ किसानों की ही नहीं ग्राहक की भी है उसको भी ज्यादा पैसे देने पड़ते हैं और किसानों को भी पैसे कम मिल रहे हैं। वी आर जस्ट कटिंग डाउन द चेन। उनके लिए ज्यादा प्रोटेक्शन ज्यादा प्रोवीजन्स हैं। उनको जो मिलना चाहिए वो मिलेगा। सिस्टम में जो भ्रष्टाचार बढ़ता है उसे कम करने के लिए रिपोर्ट में बातें की गई हैं जो कि पूरे देश के हित में हैं। माना जा रहा है कि समिति ने रिपोर्ट में लाइसेंस राज खत्म करके किसानों को संरक्षण देने की व्यवस्था करने की सिफारिश है।

एमएसपी के मुद्दे पर भी राय दी 

माना जा रहा है कि कमेटी ने एमएसपी के मुद्दे पर भी रिपोर्ट में राय व्यक्त की है। रिपोर्ट अभी गोपनीय है इसलिए स्पष्ट तौर पर क्या सिफारिश की गई है यह सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने पर ही पता चल पाएगा अभी तक मामले में सुनवाई की कोई तारीख तय नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने बनाई थी चार सदस्‍यीय कमेटी 

12 जनवरी को कोर्ट ने विशेषज्ञों की जो चार सदस्यीय कमेटी बनाई थी उसमें भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष भुपिन्दर सिंह मान, कृषि अर्थशास्त्री प्रमोद कुमार जोशी, कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी और शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल घनवत शामिल थे। लेकिन कमेटी गठित होने के दूसरे ही दिन भुपिन्दर सिंह मान ने स्वयं को कमेटी से अलग कर लिया था। इसके बाद तीन सदस्यीय कमेटी ने ही मामले पर विचार कर रिपोर्ट तैयार की।


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