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जेलों में कोरोना की रोकथाम के मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान, राज्‍यों और केंद्र से मांगा जवाब

जेलों में बंद कैदियों की कोरोना वायरस से सुरक्षा के मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्‍वत संज्ञान लिया है। शीर्ष अदालत ने इस मसले पर केंद्र और राज्‍य सरकार से जवाब मांगा है...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 16 Mar 2020 10:43 PM (IST)Updated: Mon, 16 Mar 2020 10:43 PM (IST)
जेलों में कोरोना की रोकथाम के मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान, राज्‍यों और केंद्र से मांगा जवाब
जेलों में कोरोना की रोकथाम के मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान, राज्‍यों और केंद्र से मांगा जवाब

नई दिल्ली, जेएनएन। महामारी का रूप लिए देश और दुनिया में फैले कोरोना वायरस ने सुप्रीम कोर्ट को जेलों में बंद कैदियों की सुरक्षा के लिए चिंतित कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने देश भर की जेलों में कोरोना का संक्रमण फैलने से रोकने और वहां चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने पर स्वत: संज्ञान लिया है। कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने सभी से कहा है कि वे 20 मार्च तक जवाब दाखिल कर बताएं कि उन्होंने अपने यहां जेलों में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए क्या उपाय किए हैं और आगे क्या किया जा सकता है।

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हमारे देश की जेलों में क्षमता से ज्यादा कैदी

उक्‍त निर्देश मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और एल. नागेश्वर राव की पीठ ने सोमवार को मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए दिए। कोर्ट ने आदेश में कहा है कि भारत सरकार ने कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए भीड़ से बचने की नसीहत दी है लेकिन कड़वा सच यह है कि हमारे देश की जेलों में क्षमता से ज्यादा कैदी हैं और उनके बीच निश्चित दूरी कायम रखना मुश्किल है। देश में कुल 1339 जेलें हैं जिसमें लगभग 4,66,084 कैदी हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक भारतीय जेलों में 117.6 फीसद कैदी हैं और उत्तर प्रदेश व सिक्किम राज्य में तो यह दर 176.5 और 157.3 है।

तत्काल उपाय करने की जरूरत

कोर्ट ने कहा कि कोरोना के भीड़भाड़ वाली जगहों जैसे जेल में फैलने की ज्यादा आशंका है क्योंकि जेल में रोजाना नये कैदी आते हैं। वहां अधिकारियों व अन्य कर्मचारियों का भी आना-जाना होता है। साथ ही कैदियों के वकील और परिजन भी मिलने आते हैं। ऐसे में वहां कोरोना फैलने की ज्यादा आशंका है। ऐसे में जेलों में तत्काल कोरोना से बचाव के उपाय करने की जरूरत है। कुछ राज्यों जैसे केरल और दिल्ली की तिहाड़ जेल में उपाय किये गए हैं। दोनों ही जगह आइसोलेशन सेल स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा केरल में नए कैदियों को छह दिन तक अलग आइसोलेशन सेल में रखा जाता है।

तिहाड़ में भी आइसोलेशन सेल

इसी प्रकार तिहाड़ में भी आइसोलेशन सेल बनाई गई है और वहां के सभी 17500 कैदियों की जांच की गई और किसी में भी कोरोना के लक्षण नहीं पाए गए। नये कैदियों की जांच कर उन्हें तीन दिन तक आइसोलेशन सेल में रखा जाता है। जेलों और रिमांड होम में बंद कैदियों को चिकित्सा सुविधाएं देने के बारे में सुझाव भी मांगे हैं। कोर्ट ने वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे को इस मामले की सुनवाई में कोर्ट की मदद करने के लिए न्यायमित्र नियुक्त किया है। आदेश में कोर्ट ने दुनिया भर में फैले कोरोना के खतरे और आंकड़े भी दर्ज किए। इसके मुताबिक यह महामारी विभिन्न देशों में 13 गुना की रफ्तार से फैली है। इस महामारी के चार स्तर हैं जिसमें भारत अभी सिर्फ दूसरे स्तर पर है। अगर जरूरी उपाय किये गए तो भारत में इसे तीसरे और चौथे स्तर पर पहुंचने से रोका जा सकता है या कम तो जरूर किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट का डिजिटलीकरण पर होगा जोर

सुप्रीम कोर्ट कोरोना पर सतर्कता बरतते हुए आजकल सिर्फ अर्जेन्ट मामलों की सुनवाई कर रहा है। यहां तक कि कोर्ट आने वालों की जांच होती है। उनसे ट्रैवल हिस्ट्री फार्म भी भरवाया जाता है। सुप्रीम कोर्ट में कामन एरिया को रोजाना संक्रमण मुक्त भी किया जा रहा है। एक अन्य पीठ में बैठे जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान कहा कि जल्द ही डिजिटल फाइलिंग और वर्चुअल कोर्ट देखने को मिलेंगे। सुप्रीम कोर्ट अगले हफ्ते से इसकी व्यवस्था कर सकता है। तब वकील वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये अदालत की सुनवाई के दौरान मामलों की पैरवी करेंगे। उन्होंने कहा कि अदालतें महामारी फैलाने का जरिया नहीं बन सकती हैं। मुख्य न्यायाधीश लगातार उच्च न्यायालयों के संपर्क में हैं। निचली अदालतों में खतरा ज्यादा है। 


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