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स्कूल अग्निकांड मामले में 50 लाख रुपये जमा कराने की शर्त पर सुप्रीम कोर्ट ने रोकी जांच

कोर्ट ने कहा है कि वकील द्वारा जमा कराई गई रकम में धोखाधड़ी का शिकार पीडि़त अभिभावकों को एक-एक लाख रुपये दिये जाएंगे।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 03 Jun 2018 11:28 PM (IST)Updated: Sun, 03 Jun 2018 11:28 PM (IST)
स्कूल अग्निकांड मामले में 50 लाख रुपये जमा कराने की शर्त पर सुप्रीम कोर्ट ने रोकी जांच
स्कूल अग्निकांड मामले में 50 लाख रुपये जमा कराने की शर्त पर सुप्रीम कोर्ट ने रोकी जांच

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के कुंभकोणम में स्कूल अग्निकांड के पीडि़त अभिभावकों के साथ धोखाधड़ी करने वाले वकील को 50 लाख रुपये जमा कराने की शर्त पर उसके खिलाफ चल रही सीबी सीआईडी जांच पर रोक लगा दी है। इतना ही नहीं कोर्ट ने कहा है कि वकील द्वारा जमा कराई गई रकम में धोखाधड़ी का शिकार पीडि़त अभिभावकों को एक-एक लाख रुपये दिये जाएंगे।

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- अग्निकांड पीडि़त अभिभावकों से धोखाधड़ी करने वाले वकील को कोर्ट ने दी सशर्त राहत

ये आदेश न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ व न्यायमूर्ति एमएम शांतनगौडर की पीठ ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दाखिल वकील की विशेष अनुमति याचिका का निपटारा करते हुए गर्मी की छुट्टियों से पहले पिछले पखवाड़े दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की मेरिट पर विचार करने से इन्कार करते हुए कहा कि पैसा मद्रास हाईकोर्ट में जमा कराओ और वहीं जाकर आगे होने वाली सुनवाई में अपना पक्ष रखो। हाईकोर्ट में पांच जून को सुनवाई होनी है।

तमिलनाडु कंुभकोणम में 16 जुलाई 2004 को श्री कृष्णा स्कूल में हुए अग्निकांड में 94 बच्चों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हुए थे। कोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार ने अग्निकांड पीडि़त अभिभावकों को ब्याज सहित मुआवजा दिया था। आरोप के मुताबिक अभिभावकों के वकील एस. तमिलारसन ने अभिभावकों से धोखाधड़ी करके मुआवजे की रकम स्वयं के और रिश्तेदारों के खातों में ट्रांसफर कर ली थी।

अभिभावकों की ओर से इस धोखाधड़ी की शिकायत किये जाने के बाद हाईकोर्ट ने गत 27 अप्रैल को वकील तमिलारसन के खिलाफ सीबी सीआईडी जांच के आदेश दिये थे। इसके साथ ही उसका वकालत का लाइसेंस भी निलंबित करते हुए बार काउंसिल को उसके खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिये थे।

वकील तमिलारसन ने हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनती दी थी। वकील का कहना था कि उसने किसी से धोखाधड़ी नहीं की है उसने तो सिर्फ अपनी प्रोफेशनल फीस ली है। उसकी दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि उन्हें केस की मेरिट पर विचार नहीं करना वे सिर्फ अभिभावकों के मुआवजे की रकम के पहलू पर विचार कर रहे हैं। अगर याचिकाकर्ता 50 लाख रुपये जमा कराता है तो उसके खिलाफ जारी सीबी सीआईडी जांच व वकालत का लाइसेंस निलंबित करने के आदेश पर रोक लग जाएगी।

कोर्ट ने वकील को आदेश दिया था कि वह तीन सप्ताह के भीतर पैसा हाईकोर्ट में जमा कराए। हाईकोर्ट में करीब 49 अभिभावकों ने वकील के खिलाफ शिकायत की थी। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही ये भी साफ किया था कि अगर कोई और अभिभावक इसी तरह की शिकायत लेकर आता है तो प्रत्येक मामले में उसे अलग से एक - एक लाख रुपये के हिसाब से जमा कराने होंगे। हालांकि कोर्ट ने कहा है कि अगर सिर्फ 25 अभिभावक ही पैसा वापस लेते हैं तो तीन महीने के इंतजार के बाद बाकी रकम याचिकाकर्ता को वापस कर दी जाए।


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