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सुप्रीम कोर्ट ने कठुआ केस के ट्रायल पर 7 मई तक लगाई रोक

कोर्ट ने मामले का ट्रायल कठुआ से चंडीगड़ स्थानांतरित करने की पीड़िता के पिता की मांग और अभियुक्तों की निष्पक्ष जांच की मांग पर सुनवाई लंबित रख ली है।

By Manish NegiEdited By: Published: Fri, 27 Apr 2018 07:26 PM (IST)Updated: Fri, 27 Apr 2018 07:26 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने कठुआ केस के ट्रायल पर 7 मई तक लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने कठुआ केस के ट्रायल पर 7 मई तक लगाई रोक

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट ने कठुआ दुष्कर्म कांड की निचली अदालत में चल रही सुनवाई पर शुक्रवार को रोक लगा दी। ये रोक फिलहाल मामले में 7 मई को होने वाली अगली सुनवाई तक जारी रहेगी। इसके अलावा कोर्ट ने मामले का ट्रायल कठुआ से चंडीगड़ स्थानांतरित करने की पीड़िता के पिता की मांग और अभियुक्तों की निष्पक्ष जांच की मांग पर सुनवाई लंबित रख ली है।

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शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदू मल्होत्रा की पीठ ने मुख्य अभियुक्त सांझी राम और जांगोत्रा की पक्षकार बनाए जाने की अर्जी स्वीकार कर ली। साथ ही अन्य अभियुक्तों को भी मामले में पक्षकार बनाते हुए नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने सभी अभियुक्तों को जवाब दाखिल करने का समय देते हुए सुनवाई टाल दी। इससे पहले पीड़ित की वकील इंद्रा जयसिंह और अभियुक्त सांझी राम की वकील हरविन्दर चौधरी ने तेज आवाज में तीखी बहस की जिसपर कोर्ट ने दोनों वकीलों को आवाज नीची रखने की नसीहत दी। जब इंद्रा जयसिंह माहौल और परिस्थितियों का हवाला दे मामले को कठुआ से चंडीगड़ स्थानांतरित करने की दलीलें दे रहीं थी तभी बीच मे उनकी बात काटते हुए उसी तेजी से सांझी राम की वकील हरविन्दर चौधरी ने बोलना शुरू किया।

चौधरी ने कहा कि अभियुक्तों को झूठा फंसाया गया है वे नार्को जांच के लिए तैयार हैं। उन्होंने जांच की सत्यता पर सवाल उठाया। कहा वे त्वरित सुनवाई के खिलाफ नहीं हैं लेकिन जो वास्तविक अपराधी हैं उन्हें पकड़ा जाए। मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। उन्होंने दूसरे पक्ष पर सोशल मीडिया के जरिये लाभ पाने का भी आरोप लगाया। हालांकि जयसिंह ने विरोध करते हुए कहा कि ये बेतुके आरोप सिर्फ अदालत में मौजूद मीडिया को देख कर लगाए जा रहे हैं। ये लोग सीबीआई जांच मांग रहे हैं क्योंकि इन्हे मालूम है कि पुलिस ने बहुत अच्छी जांच की है।

उधर दूसरी ओर जम्मू कश्मीर सरकार ने ट्रायल कठुआ से चंडीगढ़ ट्रांसफर करने का विरोध करते हुए कहा कि कठुआ के बजाए जम्मू कश्मीर में कहीं और ट्रांसफर हो सकता है लेकिन राज्य से बाहर करने में दिक्कत आएगी क्योंकि यहां का कानून अलग है। गवाहों के बयान भी उर्दू में हैं। ये भी कहा कि पुलिस की जांच की हाईकोर्ट निगरानी कर रहा है। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वे हाईकोर्ट के आदेश पेश करें।

कोर्ट ने सुनवाई टालते हुए कहा कि दो कानूनी मुद्दे उनके सामने हैं पहला कि जांच राज्य पुलिस से लेकर सीबीआई को दी जाए और दूसरा ट्रायल कठुआ से बाहर स्थानांतरित किया जाए। कोर्ट की टिप्पणियों पर राज्य के वकील ने कहा कि कोर्ट ने पिछली सुनवाई पर कहा था कि वे इस मामले में पीआईएल नहीं सुनेंगे। कोर्ट ने कहा कि वे आज भी यही कह रहे हैं। लेकिन तभी मामले की सीबीआई जांच मांग रही पीआइएल याचिकाकर्ता की वकील ने कोर्ट से कहा कि इस मामले में पुलिस अपराधियों के साथ मिली हुई है। जांच सीबीआई की दी जानी चाहिए। जिसने भी अपराध किया है पकड़ा जाना चाहिए। हम सब पीड़ित बच्ची के साथ हैं। हम सिर्फ निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं। तभी कोर्ट ने अदालत में बैठे एएसजी मनिंदर सिंह से पूछा कि वे किस केस में हैं। सिंह ने कहा कि वे इस मामले में केन्द्र सरकार की ओर से पेश हुए हैं।

इस मामले में गुरुवार को बार काउंसिल आफ इंडिया के जांच पैनल ने कोर्ट में दाखिल रिपोर्ट में कहा था कि वकीलों ने पुलिस को अदालत में चार्जशीट दाखिल करने से नहीं रोका था और न ही पीड़ित की वकील को कोर्ट में पेश होने से रोका गया है। रिपोर्ट में मामले की सीबीआई जांच की भी तरफदारी की गई है। जम्मू कश्मीर बार एसोसिएशन ने भी सुनवाई में बाधा डालने और पीड़ित की वकील को पेश होने से रोकने के आरोपों से इन्कार किया था।


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