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सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 के तहत विवाह-विच्छेद की शक्तियों पर शुरू की सुनवाई, क्‍या है पूरा मामला

आपसी सहमति वाले पक्षकारों को पारिवारिक अदालत में भेजे बिना विवाह को भंग करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत शक्तियों के प्रयोग के वास्ते व्यापक मापदंड क्या हो सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर सुनवाई शुरू कर रहा है...

By AgencyEdited By: Krishna Bihari SinghPublished: Wed, 28 Sep 2022 10:58 PM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2022 11:15 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 के तहत विवाह-विच्छेद की शक्तियों पर शुरू की सुनवाई, क्‍या है पूरा मामला
सुप्रीम कोर्ट ने विवाह को भंग करने के एक महत्‍वपूर्ण मसले पर सुनवाई शुरू कर रहा है।

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इस मुद्दे पर सुनवाई शुरू की कि आपसी सहमति वाले पक्षकारों को पारिवारिक अदालत में भेजे बिना विवाह को भंग करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत शक्तियों के प्रयोग के वास्ते व्यापक मापदंड क्या हो सकते हैं। इस मामले में गुरुवार को भी बहस जारी रहेगी। अदालत इस बात पर भी गौर करेगी कि क्या अनुच्छेद 142 के तहत इसकी व्यापक शक्तियां उस स्थित में किसी भी तरह से बाधित होती है जहां विवाह टूट गया है, लेकिन एक पक्ष तलाक का विरोध कर रहा है।

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तलाक दोष सिद्धांत (फाल्ट थ्योरी) पर आधारित

अनुच्छेद 142 शीर्ष अदालत के आदेशों और उसके समक्ष किसी भी मामले में 'पूर्ण न्याय' प्रदान करने के आदेशों को लागू करने से संबंधित है। जस्टिस एसके कौल की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत, तलाक दोष सिद्धांत (फाल्ट थ्योरी) पर आधारित है। लेकिन विवाह का समाप्त होना दोषारोपण के फेर में पड़े बिना स्थिति की एक जमीनी सच्चाई हो सकती है।

अच्छे जीवन साथी न हों

पीठ में जस्टिस कौल के अलावा जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस एएस ओका, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस जेके माहेश्वरी भी शामिल हैं। पीठ ने कहा, हो सकता है कि दो बहुत बेहतर लोग अच्छे जीवन साथी न हों। कभी-कभी हमारे सामने ऐसे मामले आते हैं जहां लोग काफी समय तक साथ रहते हैं और फिर शादी टूट जाती है।

दोष सिद्धांत क्या है..?

मामले में न्याय मित्र के रूप में अदालत की सहायता कर रही वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि तलाक की याचिका दायर होने पर आमतौर पर आरोप-प्रत्यारोप होते हैं। दोष सिद्धांत के मुद्दे पर जस्टिस कौल ने कहा, 'यह भी, मेरे विचार से, बहुत विषयपरक है। दोष सिद्धांत क्या है?'

'सामाजिक आदर्श' से पैदा हो रहे आरोप

उन्होंने कहा, 'कोई कह सकता है कि वह सुबह उठकर मेरे माता-पिता को चाय नहीं देती है। क्या यह एक दोष सिद्धांत है? शायद, आप चाय को बेहतर तरीके से बना सकते थे।' पीठ ने कहा कि इनमें से बहुत से आरोप 'सामाजिक आदर्श' से पैदा हो रहे हैं, जहां कोई सोचता है कि महिला को यह करना चाहिए या पुरुषों को ऐसा करना चाहिए।

क्या किसी को दोष देना चाहिए

पीठ ने कहा कि तलाक की कार्यवाही में क्या किसी को दोष देना चाहिए। न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि उन्होंने ऐसे मामले देखे हैं जहां पुरुष तब भी विरोध कर रहा था जब महिला कुछ नहीं चाहती थी क्योंकि उसके पास कमाने की बेहतर क्षमता थी और वह बेहतर स्थिति में थी। 

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