Move to Jagran APP

नीट-पीजी की शेष बची सीटों के लिए काउंसलिंग पर DGHS से जवाब तलब, सुप्रीम कोर्ट का काउंसलिंग पर रोक से इन्कार

कुछ डाक्टरों की ओर से नीट-पीजी की बाकी सीटों के लिए काउंसलिंग में शामिल होने की मांग की जा रही है। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) से जवाब तलब किया। जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्‍या बातें कही हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 28 Mar 2022 10:40 PM (IST)Updated: Mon, 28 Mar 2022 10:40 PM (IST)
नीट-पीजी की शेष बची सीटों के लिए काउंसलिंग पर DGHS से जवाब तलब, सुप्रीम कोर्ट का काउंसलिंग पर रोक से इन्कार
सुप्रीम कोर्ट ने नीट-पीजी की बची सीटों के लिए काउंसलिंग में शामिल होने के मसले पर डीजीएचएस से जवाब मांगा।

नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को नीट-पीजी की शेष बची सीटों के लिए काउंसलिंग (माप-अप राउंड) में शामिल होने की कुछ डाक्टरों की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) से जवाब तलब किया। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने डीजीएचएस की ओर से पेश एडिशनल सालिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से डाक्टरों की तरफ से दायर याचिकाओं के दो सेट पर विस्तृत जवाब दाखिल करने को कहा।

loksabha election banner

रोक लगाना बहुत ही कठोर होगा

पीठ ने याचिकाकर्ताओं के वकील से कहा, 'काउंसलिंग प्रक्रिया पर रोक लगाना बहुत ही कठोर कदम होगा। यह मेडिकल के छात्रों का मामला है। अगर हम सीटें रद करते हैं, तो हमें सभी प्रवेश रद करने होंगे जिससे पूरी प्रक्रिया में और देरी होगी। आप सभी को भी कोई समाधान निकालना चाहिए।'

याचिकाकर्ताओं ने यह दी दलील

याचिका दायर करने वाले मेडिकल के कुछ छात्रों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि दूसरे चरण की काउंसलिंग के बाद उन्हें सीटें आवंटित कर दी गईं। उसके बाद डीजीएचएस ने नोटिस जारी कर सैंकड़ों सीटें पूल में जोड़ दीं जो उनके समय में उपलब्ध नहीं थीं। इसके परिणामस्वरूप उनसे कमतर योग्यता वाले छात्रों को बेहतर सीटें मिलेंगी।

सीटें रोकने का शुरू हुआ चलन

कुछ दूसरे छात्रों की तरफ से पेश वकील राकेश खन्ना ने कहा कि कुछ सीटें रोकने का चलन हो गया है, जिसके चलते निर्धारित चरण की काउंसलिंग के बाद छह हजार से ज्यादा सीटें बच गई हैं।

रजिस्ट्रेशन की अनुमति नहीं देनी चाहिए

भाटी ने कहा कि अदालत को अन्य चरण के लिए रजिस्ट्रेशन की अनुमति नहीं देनी चाहिए, क्योंकि इससे प्रक्रिया कभी खत्म ही नहीं होगी। उन्होंने कहा कि पूल में सिर्फ 150 नई सीटें जोड़ी गई थीं। दो विकल्प थे या ये सीटों को खाली रखा जाता या फिर पूल में जोड़कर भरा जाता। भाटी ने कहा कि कोरोना के इस दौर में हमें डाक्टरों की जरूरत है। ऐसा पहली बार हुआ है कि शेष बची सीटों को माप-अप राउंड में जोड़ा गया है।

जुर्माना भरने के नियम में दखल से इन्कार

शंकरनारायणन ने कहा कि अभ्यर्थी अगर आवंटित सीट को छोड़ते हैं तो उन्हें पांच लाख रुपये का जुर्माना भरना होगा। अदालत जुर्माने को खत्म करने का आदेश दे सकती है। इस पर पीठ ने कहा कि अगर वह ऐसा करती है तो उसे सभी अभ्यर्थियों के लिए ऐसा करना पड़ेगा। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.