ताज संरक्षण मामला : SC ने केंद्र और यूपी सरकार को जमकर लगाई फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल के संरक्षण पर सरकार द्वारा दाखिल ड्राफ्ट पर सवाल किया कि ड्राफ्ट क्यों दाखिल किया गया? क्या हम इसे सुधारेंगे?
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल के संरक्षण में ढीले रवैये और विभिन्न अथारिटीज के बीच सामंजस्य की कमी पर गहरी नाराजगी जताते हुए गुरुवार को केन्द्र और उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि कोई भी जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता। क्या यहां कोई तमाशा चल रहा है या मजाक हो रहा है।
कोर्ट ने फाइनल विजन डाक्यूमेंट दाखिल करने के बजाए उसका मसौदा दाखिल करने पर उत्तर प्रदेश सरकार की खिंचाई करते हुए कहा कि इतने दिनों में मसौदा दाखिल किया है क्या कोर्ट इसे सही गलत परखेगा। कोर्ट ने केन्द्र और उत्तर प्रदेश सरकार से सोमवार तक उन अधिकारियों का नाम बताने को कहा है जिनकी ताजमहल को संरक्षित रखने की जिम्मेदारी है। इसके अलावा कोर्ट ने ताज संरक्षित क्षेत्र (टीटीजेड) को संरक्षित रखने के लिए फौरी तौर पर किये जाने वाले उपायों पर उत्तर प्रदेश सरकार से 28 अगस्त तक जवाब मांगा है।
ये कड़ी टिप्पणियां न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर व न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने ताजमहल के संरक्षण मामले में सुनवाई के दौरान कीं। कोर्ट ने कहाकि ताजमहल के संरक्षण को लेकर सरकार कितनी गंभीर है ये दिख रहा है। कोर्ट के आदेश का कोई मतलब नहीं है। कोर्ट ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि ताजमहल का रखरखाव और संरक्षण भारत पुरातत्व संरक्षण (एएसआई) की जिम्मेदारी है और ताजमहल के संरक्षण का विजन डाक्यूमेंट तैयार करते समय एएसआई से परामर्श नहीं किया गया।
कोर्ट ने प्रदेश सरकार की ओर से पेश अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल से कहा कि ताजमहल विश्व धरोहर है। क्या केन्द्र या किसी और अथारिटी ने ताजमहल के प्रबंधन की योजना वर्ल्ड हैरिटेज सेंटर यूनेस्को को भेजी है। पीठ ने कहा कि हम प्रार्थना और उम्मीद करते हैं कि ऐसा कभी न हो लेकिन क्या होगा अगर यूनेस्को कह दे कि वह ताजमहल से विश्व धरोहर का टैग वापस लेता है। वेणुगोपाल ने कहा कि ताजमहल दुनिया के सात आश्चर्यो में शामिल है और विश्व धरोहर है अगर इसका विश्व धरोहर का दर्जा वापस लिया जाता है तो ये देश के लिए बहुत ही शर्मिदगी की बात होगी।
कोर्ट ने प्रदेश सरकार से कहा है कि वह विजन डाक्यूमेंट का मसौदा संरक्षण के विशेषज्ञों और इंडियन नेशनल ट्रस्ट फार आर्ट एंड कल्चरल हैरिटेज को भी उसकी राय जानने के लिए दे। इसके अलावा सभी संबंधित अथारिटीज और एएसआई को भी राय के लिए मसौदा देने को कहा है। विजन डाक्यूमेंट पर कोर्ट 28 अगस्त को फिर सुनवाई करेगा।
कोर्ट ने कहा कि कोई भी ताजमहल को लेकर जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता। विभिन्न अथारिटीज काम कर रहीं हैं लेकिन उनके बीच सामंजस्य नहीं है। एक को नहीं पता कि दूसरा क्या कर रहा है। अथारिटीज ने अलग अलग हलफनामें दाखिल किये हैं लेकिन उनमें समानता नहीं है। हलफनामे में कुछ कहा जा रहा है। मौखिक दलील में कुछ और जबकि हकीकत में कुछ और चल रहा है। बड़ी मुश्किल है। पीठ ने पूछा कि कोर्ट के आदेश के बावजूद अवैध फैक्टि्रयों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हुई। ये क्या तमाशा है।
कोर्ट ने टीटीजेट क्षेत्र में 1167 वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार औद्योगिक इकाइयों के संचालन पर हैरानी जताई। कोर्ट प्रदेश सरकार से कहा कि आपके पास इस बात के आंकड़े नहीं हैं कि कौन सी फैक्ट्री वायु प्रदूषण और कौन जल प्रदूषण फैला रही है। ऐसा नहीं है कि जो फैक्ट्री गैस से चलती है वो प्रदूषण नहीं फैलाती। आंकड़े होने चाहिए।
हिन्दी में क्यों नहीं तैयार किया विजन डाक्यूमेंट
कोर्ट ने प्रदेश सरकार से पूछा कि उसने हिन्दी में विजन डाकूमेंट क्यों नहीं तैयार किया जो लोगों की भाषा है। क्या लोगों को जानने का हक नहीं है कि ताजमहल संरक्षित रखने के लिए सरकार क्या योजना ला रही है। कोर्ट ने विजन डाकूमेंट का हिन्दी मे अनुवाद करने और उसे वेबसाइट पर अपलोड करने को कहा है।