आधार मामले में निजता के अधिकार के हनन पर SC की नौ जजों की पीठ करेगी विचार
पांच जजों की बेंच ने आज सुनवाई करते हुए कहा कि जरूरी है यह तय हो कि क्या संविधान के तहत निजता का अधिकार है या नहीं
नई दिल्ली, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ की ओर से आज आधार मामले की सुनवाई को नौ सदस्यीय पीठ के समक्ष विचार के लिए भेज दिया गया, जो आधार से निजता के अधिकार के हनन के मुद्दे पर विचार करेगी और देखेगी कि क्या आधार के लिए बायोमेट्रिक डेटा लेना और आधार को सभी चीज़ों से जोड़ने से निजता के अधिकार का हनन होता है कि नही।
इसके साथ ही पीठ को यह भी तय करना होगा कि राइट टु प्राइवेसी मौलिक अधिकार है कि नहीं। मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर की नेतृत्व वाली नौ जजों की पीठ मामले में बुधवार से सुनवाई शुरु करेगी।
मालूम हो कि वर्ष 1954 में आठ जजों की पीठ और वर्ष 1962 में छह जजों की पीठ की ओर से कहा गया था कि निजता का अधिकार संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त मौलिक अधिकार के दायरे में नहीं आता है। केंद्र सरकार की ओर से इसी को मुद्दा बनाकर कहा गया कि आधार के जरिए मौलिक अधिकारों के हनन को मुद्दा बनाकर चुनौती नहीं दी जी सकती है।
कोर्ट की ओर से कहा गया कि एक बार नौ जजों की पीठ की ओर से यह तय कर दिया जाएं कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है कि नहीं। इसके बाद पांच जजों की पीठ आधार मामले में अपना फैसला सुनाएगी।
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