Move to Jagran APP

सुप्रीम कोर्ट ने किशोर न्याय कानून में संशोधन को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र से मांगा जवाब, क्‍या है मामला

सुप्रीम कोर्ट में किशोर न्याय कानून 2015 में हालिया संशोधन को चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सोमवार को केंद्र सरकार से जवाब मांगा। क्‍या है पूरा मामला जानने के लिए पढ़ें यह रिपोर्ट...

By AgencyEdited By: Krishna Bihari SinghPublished: Mon, 26 Sep 2022 07:32 PM (IST)Updated: Mon, 26 Sep 2022 07:32 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने किशोर न्याय कानून में संशोधन को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र से मांगा जवाब, क्‍या है मामला
सुप्रीम कोर्ट ने किशोर न्याय कानून में संशोधन को चुनौती देने वाली एक याचिका पर केंद्र से जवाब तलब किया।

नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट ने किशोर न्याय कानून, 2015 में हालिया संशोधन को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सोमवार को केंद्र से जवाब तलब किया। संशोधन में बच्चों के खिलाफ कुछ श्रेणियों के अपराधों को गैर-संज्ञेय बनाया गया है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट किशोर न्याय कानून, 2015 में किए गए संशोधन को चुनौती देने वाली दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग की याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

loksabha election banner

धारा-26 को चुनौती

याचिका में संशोधित कानून की धारा-26 को चुनौती दी गई है जिसके तहत तीन साल से सात साल तक की कैद की सजा वाले दंडनीय अपराधों को गैर-संज्ञेय के रूप में वर्गीकृत किया गया है। संशोधित कानून के अनुसार, गंभीर अपराधों में वे अपराध शामिल होंगे जिनके लिए अधिकतम सजा के रूप में सात साल से अधिक की कैद का प्रविधान है।

कानून में संशोधन से लाभ

संज्ञेय अपराध, अपराधों की एक ऐसी श्रेणी है जिसमें पुलिस बिना किसी वारंट के व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है, जबकि गैर-संज्ञेय अपराध में कोर्ट वारंट के साथ ही किसी को गिरफ्तार किया जा सकता है। याचिका में दावा किया गया है कि कानून में संशोधन से पुलिस किशोर अपराधियों की जांच और उन्हें गिरफ्तार करने की शक्ति से वंचित हो गई है।

सरोगेसी कानून, 2021 को चुनौती देने वाली याचिका पर भी केंद्र को नोटिस

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने सरोगेसी (किराये की कोख) कानून, 2021 और सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी कानून, 2021 के प्रविधानों को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और आइसीएमआर को नोटिस जारी किए हैं। याचिका में कहा गया है कि कामर्शियल सरोगेसी पर लगाया गया प्रतिबंध अनुचित है और सिर्फ परोपकार की भावना से सरोगेसी को अनुमति देने से परिवार में महिला का और ज्यादा उत्पीड़न हो सकता है। 

यह भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट ने किशोर न्याय कानून में संशोधन को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र से मांगा जवाब, क्‍या है मामला

यह भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट में संविधान पीठों में सुनवाई का आज से होगा सीधा प्रसारण, CJI बोले- जल्द होगा हमारा अपना प्लेटफार्म


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.