Move to Jagran APP

तीन तलाक कानून के खिलाफ AIMPLB की याचिका, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने दंडनीय अपराध बनाने के कानून की वैधानिकता को चुनौती देने वाली ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा।

By Manish PandeyEdited By: Published: Wed, 13 Nov 2019 06:35 PM (IST)Updated: Wed, 13 Nov 2019 06:35 PM (IST)
तीन तलाक कानून के खिलाफ AIMPLB की याचिका, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब
तीन तलाक कानून के खिलाफ AIMPLB की याचिका, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट ने एक साथ तीन तलाक कह कर संबंध विच्छेद करने को दंडनीय अपराध बनाने के कानून की वैधानिकता को चुनौती देने वाली ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआइएमपीएलबी) की याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा।

loksabha election banner

जस्टिस एनवी रमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने नोटिस जारी करते हुए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की याचिका मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 2019 को चुनौती देने वाली अन्य याचिकाओं के साथ जोड़ दी। यह अधिनियम तलाक ए बिद्दत और मुस्लिम पति द्वारा दिए गए किसी भी फौरी तलाक को अमान्य करार देता है और इसे गैर कानूनी बनाता है।

पीठ ने सीरथ उन नबी अकादमी की याचिका पर सुनवाई करते हुए इस बात पर नाराजगी जताई कि विभिन्न लोगों और संगठनों ने बड़ी संख्या में याचिकाएं दायर कर रखी हैं। पीठ ने कहा कि एक बार में तीन तलाक के मुद्दे पर 20 से अधिक याचिकाएं लंबित हैं।

पीठ ने अकादमी के वकील से जानना चाहा, 'एक ही मुद्दे पर कितनी याचिकाएं दायर की जाएंगी। प्रत्येक मामले में अधिसूचना आती है और आप सभी जनहित याचिका लेकर आ जाते हैं। इस समय तीन तलाक के मसले पर 20 से अधिक याचिकाएं लंबित हैं। क्या हमें 100 याचिकाओं को संलग्न कर देना चाहिए और इन पर सौ साल तक सुनवाई करनी चाहिए? हम एक ही मसले पर 100 याचिकाओं को नहीं सुन सकते।'

एआइएमपीएलबी और कमाल फारुकी की याचिका में कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है। शीर्ष कोर्ट ने अगस्त 2017 में 'तलाक, तलाक, तलाक' कह कर संबंध विच्छेद करने की परंपरा को खत्म कर दिया था। इससे संबंधित कानून संसद ने 30 जुलाई को पारित किया था। शीर्ष कोर्ट ने अगस्त 2017 में एक साथ तीन तलाक कह कर संबंध विच्छेद करने के चलन को असंवैधानिक करार दे दिया था। इसके बाद 30 जुलाई को संसद ने इस संबंध में एक कानून पारित किया था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.