नगालैंड में परिसीमन संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब
चीफ जस्टिस एसए बोबडे जस्टिस एएस बोपन्ना व जस्टिस वी. रामासुब्रमणियन की पीठ ने इस याचिका को असम में परिसीमन से संबंधित एक अर्जी के साथ संलग्न कर दिया।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने नगालैंड में वर्ष 2001 की जनगणना के आधार पर परिसीमन प्रक्रिया बहाल करने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर गुरुवार को केंद्र से जवाब मांगा है। चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना व जस्टिस वी. रामासुब्रमणियन की पीठ ने इस याचिका को पड़ोसी असम में परिसीमन से संबंधित एक अर्जी के साथ संलग्न कर दिया। इसमें 28 फरवरी को केंद्र की तरफ से जारी आदेश को निरस्त करने की मांग की गई है।
याचिका में आदेश को मनमाना व संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करने वाला बताया गया है। इसमें वर्ष 2021 की जनगणना के आधार पर परिसीमन कराए जाने की मांग की गई है। इससे पहले आठ फरवरी, 2008 के एक आदेश के माध्यम से राज्य में परिसीमन की प्रक्रिया टाल दी गई थी।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने जम्मू-कश्मीर, असम, मणिपुर, नगालैंड व अरुणाचल प्रदेश के 15 सांसदों को परिसीमन आयोग का सहयोगी सदस्य नामित किया है। ये सांसद पूर्वोत्तर राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन में आयोग की मदद करेंगे। इनमें केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू व जितेंद्र सिंह शामिल हैं।
परिसीमन आयोग ने लोकसभा अध्यक्ष और पूर्वोत्तर के चार राज्यों की विधानसभाओं के अध्यक्षों को हाल ही में पत्र लिखकर समिति के सहायक सदस्यों के नाम देने को कहा था। जम्मू-कश्मीर में फिलहाल कोई विधानसभा नहीं है। वह केंद्र शासित है और वहां विधानसभा का प्रावधान है। 26 मई के लोकसभा बुलेटिन के अनुसार, केंद्रीय मंत्री रिजिजू व तपीर गाओ अरुणाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व करेंगे। असम का प्रतिनिधित्व पल्लब लोचन दास, अब्दुल खालिक, राजदीप रॉय, दिलीप सैकिया और नबा (हीरा) कुमार सरानिया करेंगे।
जम्मू-कश्मीर, असम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड के संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन को गति देने के लिए परिसीमन आयोग ने लोकसभा अध्यक्ष और पूर्वोत्तर के चार राज्यों की विधानसभा के अध्यक्षों को पत्र लिखकर समिति के सहायक सदस्यों का नाम देने को कहा है। जम्मू-कश्मीर में फिलहाल कोई विधानसभा नहीं है। यह एक केंद्र शासित क्षेत्र हैं, जहां विधानसभा का प्रावधान है।