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पशु बलि पाबंदी कानून बरकरार रखने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, केरल सरकार से जवाब तलब

पशु बलि पाबंदी कानून को हाईकोर्ट द्वारा बरकरार रखने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। शीर्ष अदालत ने इस याचिका पर केरल सरकार से जवाब मांगा है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 16 Jul 2020 07:25 PM (IST)Updated: Thu, 16 Jul 2020 07:25 PM (IST)
पशु बलि पाबंदी कानून बरकरार रखने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, केरल सरकार से जवाब तलब
पशु बलि पाबंदी कानून बरकरार रखने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, केरल सरकार से जवाब तलब

नई दिल्ली, पीटीआइ। देवताओं को कथित तौर पर प्रसन्न करने के लिए पूजा में पशुओं और पक्षियों की दी जाने वाली बलि पर प्रतिबंध लगाने संबंधी कानून को संवैधानिक ठहराने के केरल हाईकोर्ट (Kerala high court) के फैसले को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती दी गई है। शीर्ष अदालत ने इस याचिका पर केरल सरकार (Kerala government) से जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि पशु बलि उसकी धार्मिक परंपरा का अभिन्न हिस्सा है।

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मुख्‍य न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने पीई गोपालकृष्णन की याचिका पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई की। याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट के आदेश से संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 (1) में प्रदत्त उसके मौलिक अधिकारों का हनन हुआ है। सर्वोच्‍च अदालत ने इस याचिका पर केरल सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

बता दें कि केरल हाईकोर्ट ने केरल पशु और पक्षी बलि निषेध कानून की वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिका 16 जून को खारिज कर दी थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि ऐसा कोई सुबूत पेश नहीं किया गया जिससे यह साबित हो कि धर्म के लिए यह परंपरा जरूरी है। हालांकि याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में दलील दी थी कि क्रूरता की रोकथाम कानून 1960 धार्मिक परंपराओं के लिए बलि की इजाजत देता है।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि क्रूरता रोकथाम कानून में धार्मिक कार्य के लिए बलि‍ शब्द का उल्‍लेख नहीं किया गया है। अब मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा है जिसमें याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि उसके द्वारा उठाए गए मामलों पर विचार किए बगैर ही अदालत ने याचिका खारिज कर दी थी। याचिका में कहा गया है कि बलि शक्ति की उपासना का अभिन्न हिस्सा है और याची इस फैसले की वजह से बालि अर्पित नहीं कर पा रहा है।


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