केरल में कोरोना संक्रमण के चलते हालात चिंताजनक, सुप्रीम कोर्ट ने 11वीं की परीक्षा कराने के फैसले पर लगाई रोक
केरल में कोरोना संक्रमण के चलते हालात अच्छे नहीं है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि संक्रमण के मामलों में निरंतर वृद्धि के कारण केरल में हालात चिंताजनक हैं। ऐसे में कम उम्र के बच्चों को जोखिम में नहीं डाला जा सकता है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। केरल में छह सितंबर से 11वीं की परीक्षा कराने के राज्य सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से फिलहाल रोक लगा दी। शीर्ष अदालत ने कहा कि कोरोना के कारण राज्य में हालात चिंताजनक हैं। देश में कुल मामलों के लगभग 70 फीसद केरल में हैं। इस उम्र के बच्चों को खतरे में नहीं डाला जा सकता।
जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस हृषिकेश राय और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा, 'पहली नजर में हमें याचिकाकर्ता की दलील में दम दिखाई देता है कि राज्य सरकार ने इस साल सितंबर में प्रस्तावित परीक्षाओं को सामान्य तरीके से (आफलाइन) कराने से पहले राज्य के वर्तमान हालात पर गंभीरता से विचार नहीं किया। इस बारे में हमें राज्य के वकील से संतोषजनक जवाब नहीं मिला, लिहाजा सुनवाई की अगली तारीख तक आफलाइन परीक्षा पर रोक लगाकर हम अंतरिम राहत प्रदान करते हैं।'
इसके बाद शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई 13 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी। इससे पहले केरल हाई कोर्ट ने कहा था कि परीक्षाओं का आयोजन करना सरकारी नीति का विषय है और इसमें हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। अधिवक्ता रसूलशाह ए. ने हाई कोर्ट के इस फैसले को चुनौती दी थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने उक्त आदेश पारित किया है।
इस बीच केरल सरकार ने कहा है कि राज्य वैक्सीन की घोर कमी का सामना कर रहा है। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जार्ज ने शुक्रवार को कहा कि कम से कम छह जिलों में कोविशील्ड टीके पूरी तरह खत्म हो गए हैं। केंद्र से वैक्सीन की और डोज मांगी गई हैं। कोल्लम, कोट्टायम, एर्नाकुलम, त्रिशूर, कोझीकोड और कन्नूर जिले वैक्सीन की किल्लत का सामना कर रहे हैं। केरल में कोविड-19 रोधी वैक्सीन की केवल 1.4 लाख डोज बची हैं। सभी जिलों में कोवैक्सीन का सीमित स्टाक है।