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योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए बेहतरीन नहीं है आधार मॉडल: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार मॉडल लोगों को सरकार के समक्ष लाकर खड़ा कर रहा है, लेकिन लाभ पहुंचाने के लिए यह बेहतरीन मॉडल नहीं।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Fri, 20 Apr 2018 08:21 AM (IST)Updated: Fri, 20 Apr 2018 02:46 PM (IST)
योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए बेहतरीन नहीं है आधार मॉडल: सुप्रीम कोर्ट
योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए बेहतरीन नहीं है आधार मॉडल: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली (जेएनएन)। आधार कार्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को गरमागरम बहस हुई। यूआइडीएआइ ने अपने समर्थन में तमाम दलीलें पेश की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट उनकी दलीलें से संतुष्ट नजर नहीं आया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार मॉडल लोगों को सरकार के समक्ष लाकर खड़ा कर रहा है। कोर्ट की टिप्पणी थी कि वह नहीं मानती कि यह व्यवस्था सबसे अच्छी है। जनकल्याण की योजनाओं का पूरा लाभ देने के लिए सरकार को व्यक्ति विशेष तक हर हाल में पहुंचना होगा। चीफ जस्टिस दीपक मिश्र की अगुवाई वाली बेंच ने यह बात कही। संवैधानिक बेंच में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड, एएम खानविलकर एके सिकरी व अशोक भूषण शामिल हैं। बेंच ने कहा कि यूआइडीएआइ कहती है कि आधार पहचान का जरिया है, लेकिन इसमें सबसे बड़ी खामी है कि इससे कोई बाहर नहीं रह सकता।

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आधार की पैरवी कर रहे गुजरात सरकार के अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि गरीबी हटाने के लिए विकास योजनाओं को क्रियान्वित करना बेहद जरूरी है। तब बेंच ने कहा कि लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाना और निजता का अधिकार अलग-अलग पहलू हैं। दोनों का एक दूसरे से कोई सरोकार नहीं है। द्विवेदी ने जिस्मफरोशी का उदाहरण देते हुए कहा कि कानून होने के बाद भी इस पर पूरी तरह से अंकुश नहीं लग सका है। उनकी दलील थी कि सुप्रीम कोर्ट नागरिकों के मूल अधिकारों के मामले में संतुलन स्थापित करे। अदालत मूल अधिकारों की संरक्षक तो है लेकिन एक संतुलन बनाने वाली संस्था भी। उन्होंने एचआइवी ग्रसित महिला का उदाहरण देते हुए कहा कि उसे गर्भपात की अनुमति नहीं दी गई, क्योंकि डॉक्टरों के पैनल ने कहा था कि यह उसके लिए घातक हो सकता है। तब अदालत ने माना था कि जीवित रहना महिला का मूल अधिकार है।

द्विवेदी का कहना था कि आधार के मामले में केवल पहचान उजागर होने का विवाद है। उनका कहना था कि अदालत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि निजता का अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत आने वाले अन्य अधिकारों से साम्य रखता है। मामले की सुनवाई 24 अप्रैल को भी जारी रहेगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बायोमैट्रिक पहचान अगर हर वित्तीय लेनदेन से जुड़ी तो मेटा डाटा एकत्र होगा और उस दशा में डाटा की सुरक्षा को लेकर सरकार को संजीदा प्रयास करने होंगे। अदालत इस मामले में लगातार सुनवाई कर रही है।सरकार का तर्क है कि देश के भविष्य को सुनहरा बनाने के लिए आधार बेहद जरूरी है तो विरोधी पक्ष का तर्क है कि आधार के जरिये सरकार निगरानी करने जा रही है। इससे लोगों के निजता के अधिकार को चोट पहुंचेगी, क्योंकि तब हर बार बहुत सी जानकारियां उजागर होंगी।


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