सुप्रीम कोर्ट का फैसला, कहा- वैध पंजीकरण नहीं होने पर नकारा जा सकता है वाहन का बीमा दावा
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि अगर पालिसी के बुनियादी नियम एवं शर्तों का उल्लंघन होता है तो बीमा राशि के दावे को खारिज किया जा सकता है। अदालत ने यह टिप्पणी यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा दाखिल अपील पर सुनवाई के दौरान की।
नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि अगर वाहन का वैध पंजीकरण नहीं है तो उसके बीमा दावे को नकारा जा सकता है। इसी के साथ शीर्ष अदालत ने चोरी गई एक कार के बीमा दावे को खारिज कर दिया। जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एस. रविंद्र भट और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि अगर पालिसी के बुनियादी नियम एवं शर्तों का उल्लंघन होता है तो बीमा राशि के दावे को खारिज किया जा सकता है।
पीठ ने यह टिप्पणी यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा दाखिल अपील पर सुनवाई के दौरान की। बीमा कंपनी ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के आदेश को चुनौती दी थी जिसने राजस्थान राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग को चुनौती देने वाली कंपनी की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी।
इस मामले में राजस्थान निवासी सुशील कुमार गोदारा ने अपनी कार के लिए पंजाब से उक्त कंपनी की बीमा पालिसी ली थी। उनकी कार का अस्थायी पंजीकरण हुआ था जो 19 जुलाई, 2011 को खत्म हो गया था। 28 जुलाई, 2011 को सुशील अपने कामकाज के सिलसिले में जोधपुर गए थे जहां रात में गेस्ट हाउस के बाहर से उनकी कार चोरी हो गई थी।
पुलिस कार तलाशने में नाकाम रही थी और उसने 30 नवंबर, 2011 को अपनी अंतिम रिपोर्ट लगा दी थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि चोरी की तिथि पर वाहन का वैध पंजीकरण नहीं था जो मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 39 और 192 का स्पष्ट उल्लंघन है।