सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर आंखें नहीं मूंद सकते
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, अदालत इस तथ्य को नहीं नकार सकती कि महिलाओं के एक वर्ग को शारीरिक कारणों से अनुमति नहीं दी गई है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि भगवान अय्यप्पा के ब्रह्मचारी चरित्र की दलील के बावजूद वे इस तथ्य के प्रति आंखें नहीं मूंद सकते कि सबरीमाला मंदिर में मासिक धर्म से जुड़े शारीरिक आधार पर 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है।
प्रधान न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा, आरएफ नरीमन, एएम खानविल्कर, डीवाई चंद्रचूड़ और इंदू मल्होत्रा की संविधान पीठ ने हालांकि 'पीपुल फॉर धर्म' और गैर सरकारी संगठन 'चेतना' की ओर से पेश वकील साई दीपक की जोरदार दलीलों को प्रभावशाली करार दिया।
साई दीपक ने दलील दी थी कि न्याय से जुड़ा व्यक्ति होने की वजह से भगवान अय्यप्पा को संविधान के तहत अपने ब्रह्मचारी चरित्र को सुरक्षित रखने का अधिकार है। इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा, 'आपके तर्क प्रभावशाली हैं, मुझे इन्हें स्वीकार करना चाहिए। लेकिन अदालत इस तथ्य को नहीं नकार सकती कि महिलाओं के एक वर्ग को शारीरिक कारणों से अनुमति नहीं दी गई है।' पीठ इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन और अन्य की ओर से इस प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।