प्रदूषण नियंत्रण को लेकर सख्त SC, BS-IV वाहनों की बिक्री पर इस महीने से लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में बीएस-IV वाहनों की बिक्री पर अप्रैल 2020 के बाद रोक लगा दी है।
नई दिल्ली, एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट ने भारत स्टेज-4 (बीएस-4) वाहनों की बिक्री को लेकर अहम फैसला सुनाया है। प्रदूषण नियंत्रण पर सख्ती दिखाते हुए कोर्ट ने अप्रैल 2020 से देशभर में बीएस-4 श्रेणियों के वाहनों की बिक्री पर रोक लगा दी है। कोर्ट का यह आदेश एक अप्रैल, 2020 से लागू हो जाएगा। इसके बाद से न तो बीएस-4 वाहनों की बिक्री होगी या न ही इनका रजिस्ट्रेशन होगा।
बता दें कि पिछले साल भी मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बीएस-3 वाहनों की बिक्री पर रोक लगाने का आदेश सुनाया था। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि जब कंपनियों को पता था कि एक अप्रैल से बीएस-4 लागू होना है, तो फिर वे टेक्नोलॉजी विकसित करने पर क्यों बैठे रहे। कोर्ट ने कंपनियों को फटकार लगाते हुए कहा था कि लोगों की सेहत ऑटोमोबाइल कंपनियों के फायदे से ज्यादा जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को सड़क पर आने की इजाजत नहीं दी जा सकती है।
बता दें कि बीते दिनों शहरों में प्रदूषण को दूर करने के लिए सरकार ने बीएस-6 फ्यूल की बिक्री शुरू करने का एलान किया था। दरअसल, बीएस-6 फ्यूल में सल्फर की मात्रा काफी कम होती है जिसकी वजह से प्रदूषण भी कम फैलता है। वहीं, बीएस-6 वाले वाहनों से नाइट्रोजन ऑक्साइड का 89 फीसद और पीएम का 50 फीसद कम उत्सर्जन होगा। हालांकि बीएस-4 वाहनों का स्टॉक खत्म करने के लिए ग्रेस पीरियड दिये जाने की मांग की गई थी। गौरतलब है कि देशभर में बीएस-6 उत्सर्जन मानक एक अप्रैल 2020 से लागू होगा। बीएस-4 उत्सर्जन मानक को अप्रैल 2017 से लागू किया गया था। 2016 में केंद्र सरकार ने घोषणा की थी कि 2020 तक बीएस-5 को छोड़ते हुए बीएस-6 उत्सर्जन मानक को देशभर में लागू किया जाएगा।
भारत स्टेज (बीएस) क्या होता है?
- भारत स्टेज भारत सरकार के बनाए हुए स्टेंडर्डस हैं, जिसे 'बीएस' भी कहा जाता है।
- बीएस मानक देश का सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड- सीपीसीबी तय करता है।
- देश में चलने वाली हर गाड़ी के लिए इन मानकों पर खरा उतरना जरूरी है।
- इसके जरिए ही गाड़ियों से निकलने वाले धुएं से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रण में रखा जाता है।
- बीएस के आगे जितना बड़ा नंबर है, उस गाड़ी से होने वाला प्रदूषण उतना ही कम है।
- भारत में शुरुआत बीएस-2 इंजन से हुई थी, जो अब बढ़कर बीएस-4 हो गई है।
- अब सरकार ने तय किया है कि बीएस-4 के बाद सीधे बीएस-6 स्टैंडर्ड लागू किया जाएगा।
- भारत सरकार द्वारा बीएस-5 को छोड़कर सीधे 2020 तक बीएस-6 लागू करने के पीछे का उद्देश्य प्रदूषण नियंत्रण करना है।
जानिए, बीएस के आगे लिखी संख्या का गणित
आपने अक्सर बीएस-2 वाहन, बीएस-3 वाहन और बीएस-4 वाहनों के बारे में सुना होगा, लेकिन कई ऐसे लोग भी है जो इन बीएस के आगे लिखे इन अंकों के गणित को नहीं जानते हैं। हम बताते हैं कि आखिर इस संख्याओं का मतलब क्या होता है?
- बीएस के आगे की संख्या बढ़ते जाने का मतलब है उत्सर्जन के बेहतर मानक, जो पर्यावरण के अनुकूल हैं।
- भारत में गाड़ियों के प्रदूषण को मापने के लिए बीएस का इस्तेमाल किया जाता है।
- बीएस के आगे जितना बड़ा नंबर लिखा होता है, उस वाहन से प्रदूषण फैसले की संभावना उतनी ही कम होती है।
- बीएस मानक देश का केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तय करता है।
- देश में चलने वाली हर गाड़ी के लिए यह आवश्यक होता है कि वह इन सभी मानकों पर खरी उतरे।
क्यों लगाई जा रही है बीएस-4 वाहनों पर रोक
दरअसल, प्रदूषण का स्तर जिस तरह से बढ़ता जा रहा है, ऐसे में पर्यावरण संरक्षण एक बहुत बड़ी चुनौती बन गया है। यहीं कारण है कि बीएस-3 वाहनों को पहले बंद किया गया और अब बीएस-4 की बिक्री बंद होने जा रही है व देश में बीएस-6 को लाने की चर्चा हो रही है।
- जब भारत में बीएस-4 इंजनों का इस्तेमाल शुरू हुआ, तो कहा गया कि बीएस-3 मानक वाले इंजन के मुकाबले बीएस-4 वाले इंजनों का इस्तेमाल सुरक्षित है।
- प्रदूषण नियंत्रण के लिहाज से बीएस-4 को चुना गया और बीएस-3 की बिक्री रोक दी गई।
- अब बीएस-6 वाहनों को लाने का फैसला हुआ है, ताकि प्रदूषण को और कम किया जा सके।