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लिव इन पार्टनर के बीच सहमति से शारीरिक संबंध दुष्कर्म नहीं : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लिव-इन पार्टनर के बीच सहमति से बना शारीरिक संबंध दुष्कर्म नहीं होता है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 03 Jan 2019 12:10 AM (IST)Updated: Thu, 03 Jan 2019 12:10 AM (IST)
लिव इन पार्टनर के बीच सहमति से शारीरिक संबंध दुष्कर्म नहीं : सुप्रीम कोर्ट
लिव इन पार्टनर के बीच सहमति से शारीरिक संबंध दुष्कर्म नहीं : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लिव-इन पार्टनर के बीच सहमति से बना शारीरिक संबंध दुष्कर्म नहीं होता है। अगर कोई व्यक्ति अपने नियंत्रण के बाहर की परिस्थितियों के कारण महिला से शादी नहीं कर पाता है तो ऐसा संबंध बनता है। शीर्ष कोर्ट ने महाराष्ट्र की नर्स द्वारा डॉक्टर के खिलाफ दर्ज कराई गई प्राथमिकी को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। दोनों कुछ समय तक लिव इन पार्टनर थे।

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जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की पीठ ने हाल में दिए फैसले में कहा, 'दुष्कर्म और सहमति से बनाए गए यौन संबंध के बीच स्पष्ट अंतर है। इस तरह के मामलों को अदालत को पूरी सतर्कता से परखना चाहिए कि क्या शिकायतकर्ता वास्तव में पीडि़ता से शादी करना चाहता था या उसकी गलत मंशा थी। गलत मंशा या झूठा वादा करना ठगी या धोखा होता है।'

प्राथमिकी के मुताबिक, विधवा महिला डॉक्टर के प्यार में पड़ गई थी और वे साथ-साथ रहने लगे थे। तथ्यों का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा कि वे कुछ समय से साथ रह रहे थे और नर्स को जब पता चला कि डॉक्टर ने किसी और से शादी कर ली है तो उसने शिकायत दर्ज करा दी। पीठ ने कहा, 'हमारा मानना है कि अगर शिकायत में लगाए गए आरोपों को उसी रूप में देखें तो आरोपित (डॉक्टर) के खिलाफ मामला नहीं बनता है।'

डॉक्टर ने बांबे हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने उसके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी।

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