सोशल ऑडिट से इन्कार मतलब दाल में कुछ काला है: सुप्रीम कोर्ट
जो फंड केंद्र की तरफ से राज्यों को इस मद में दिए जा रहे हैं, उनका इस्तेमाल भी नहीं किया जा रहा।
नई दिल्ली, प्रेट्र। नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (एनसीपीसीआर) के सोशल ऑडिट से इन्कार करने वालों राज्यों पर सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है। जस्टिस मदन बी लोकुर व दीपक गुप्ता की बेंच ने कहा है कि इसका मतलब दाल में कुछ काला है। इसी वजह से राज्य सोशल ऑडिट को मना कर रहे हैं।
कोर्ट ने पिछले साल पांच मई को सोशल ऑडिट कराने का आदेश जारी किया था। बुधवार को सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा कि राज्य इससे इन्कार कर रहे हैं। बेंच ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह को कहा कि राज्यों को फिर से बताया जाए कि हम आदेश को दोहरा रहे हैं।
अपने आदेश में कोर्ट ने कहा था कि बच्चों के हित सुरक्षित करने के लिए सोशल ऑडिट को न केवल एनसीपीसीआर बल्कि राज्य में बने आयोग को गंभीरता से लें। बाल संरक्षण गृहों की दशा व दिशा पता करने का यह सबसे नायाब तरीका है। इस मामले में कोर्ट ने तकनीक का सहारा लेने को भी कहा। यूनीसेफ के निर्देश में बिहार सरकार ने कोई सॉफ्टवेयर बनाया है।
केंद्र इसका अध्ययन करके इसके इस्तेमाल को सुनिश्चित करने की दिशा में काम करे। बेंच ने यह भी कहा कि जो फंड केंद्र की तरफ से राज्यों को इस मद में दिए जा रहे हैं, उनका इस्तेमाल भी नहीं किया जा रहा। यह बेहद चिंताजनक बात है। राज्यों को आदेश दिया गया कि वो महिला व बाल विकास विभाग को सारी जानकारी दें। इसके साथ 2018-19 के दौरान जो योजनाएं इसके तहत बनाई गई हैं, उनका ब्योरा भी उपलब्ध कराएं। केंद्र के साथ राज्यों व यूटी को कहा गया कि बाल संरक्षण केंद्रों के पंजीकरण का काम इस साल के अंत तक पूरा कर लें।