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सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, कहा - कोर्स को मान्यता देने के लिए मानक बढ़ा सकते हैं विश्वविद्यालय

अदालत ने कहा कि मानदंडों और मानकों को बढ़ाने के विश्वविद्यालयों के अधिकार पर किसी तरह का संदेह नहीं किया जा सकता। पीठ ने एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय के फैसले को सही ठहराते हुए उसके खिलाफ दिए गए केरल हाई कोर्ट के आदेश को रद कर दिया।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 10 Dec 2020 10:33 PM (IST)Updated: Thu, 10 Dec 2020 10:33 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, कहा - कोर्स को मान्यता देने के लिए मानक बढ़ा सकते हैं विश्वविद्यालय
सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में व्यवस्था दी

 नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में व्यवस्था दी है कि किसी कॉलेज के कोर्स को मान्यता देने के लिए विश्वविद्यालय एआइसीटीई की तरफ से तय मानकों को बढ़ा तो सकते हैं, लेकिन उन्हें इसमें कटौती करने का अधिकार नहीं है। शीर्ष अदालत ने यह भी माना कि मौजूदा समय में कोई भी विश्वविद्यालय अपने मानदंडों और मानकों को कम करने का जोखिम नहीं उठा सकता, खासकर तब जब अंतरराष्ट्रीय मानकों की कसौटी पर उसके प्रदर्शन का आकलन किया जा रहा हो। 

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शीर्ष अदालत ने कहा, यूनिवर्सिटी को एआइसीटीई के तय मानकों को हल्का करने का अधिकार नहीं

अदालत ने कहा कि मानदंडों और मानकों को बढ़ाने के विश्वविद्यालयों के अधिकार पर किसी तरह का संदेह नहीं किया जा सकता। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी. रामसुब्रमण्यम की पीठ ने एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय के फैसले को सही ठहराते हुए उसके खिलाफ दिए गए केरल हाई कोर्ट के आदेश को रद कर दिया। विश्वविद्यालय ने कॉलेजों के कोर्स को मान्यता देने के लिए मानकों को बढ़ाया था। पीठ ने कहा, 'हमारे विचार से इस मामले में केरल हाई कोर्ट का दृष्टिकोण सही नहीं है। हमारा मानना है कि विश्वविद्यालय अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) द्वारा तय मानकों को हल्का नहीं कर सकते, लेकिन निश्चित रूप से उन्हें मानदंडों और मानकों को बढ़ाने का अधिकार है।' 

एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विवि के फैसले खिलाफ केरल हाई कोर्ट के आदेश को किया रद

पीठ ने इस बात पर नाराजगी जताई कि एआइसीटीई ने इस मामले में मानकों को बढ़ाने के फैसले को अनुचित बताया था। पीठ ने कहा कि आज विश्वविद्यालयों को उनकी गुणवत्ता के आधार पर परखा जा रहा है। सितंबर, 2015 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय (अब शिक्षा मंत्रालय) ने भी प्रदर्शन के आधार पर विश्वविद्यालयों की रैंकिंग तय करने के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट रैकिंग फ्रेमवर्क (एनआइआरएफ) के नाम से एक व्यवस्था शुरू की थी। अदालत ने कहा कि एआइसीटीई ने इस पर कुछ नहीं कहा है कि अगर कोई कॉलेज गलत जानकारी देता है तो इसके लिए छात्रों की किस तरह से क्षतिपूर्ति की जाएगी। कॉलेज की तरफ से डिग्री विश्वविद्यालय ही देते हैं और किसी भी गलत जानकारी से उनकी प्रतिष्ठा पर ही आंच आती है।


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