सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्टों को दिया वर्चुअल सुनवाई के लिए नियम बनाने का अधिकार, कही यह बात
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्टों को अपने यहां अधीनस्थ अदालतों में वर्चुअल सुनवाई के लिए नियम बनाने की आजादी प्रदान कर दी है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि कोरोना महामारी के दौरान नागरिकों को न्याय उपलब्ध कराने में वीडियो कांफ्रेंसिंग की व्यवस्था काफी सफल रही है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को कहा कि कोरोना महामारी के दौरान नागरिकों को न्याय उपलब्ध कराने में वीडियो कांफ्रेंसिंग की व्यवस्था काफी सफल रही है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने हाई कोर्टों (High Courts) को अपने यहां और अधीनस्थ अदालतों में वर्चुअल सुनवाई के लिए नियम बनाने की आजादी प्रदान कर दी है।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह एक पत्र पर स्वत: संज्ञान लेते हुए शीर्ष अदालत ने छह अप्रैल को कोरोना महामारी के मद्देनजर देशभर की अदालतों में तकनीक के इस्तेमाल से सुनवाई करने के निर्देश जारी किए थे।
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एल. नागेश्वर राव की पीठ ने कहा कि पूर्व में जारी निर्देशों में वर्चुअल सुनवाई पर फैसला लेने के हाई कोर्टो के अधिकार को छोड़कर किसी बदलाव की जरूरत नहीं है। पीठ ने कहा कि ज्यादातर हाई कोर्टो ने पहले ही अपने नियम बना लिए हैं, जिन हाई कोर्टों ने नहीं बनाए हैं वे नए नियमों के बनने तक सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी द्वारा उपलब्ध कराए गए नियमों को अपना सकते हैं।
इस दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही के सजीव प्रसारण का मुद्दा उठाते हुए कहा कि मद्रास हाई कोर्ट में यह व्यवस्था अच्छी चल रही है। इस पर शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसे कई मसले हैं जिन पर सार्वजनिक तौर पर चर्चा नहीं हो सकती, अदालत इस पर बाद में विचार करेगी। हालांकि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कार्यवाही का सजीव प्रसारण होने से लोग सिर्फ इसलिए याचिकाएं दाखिल करने लगेंगे क्योंकि उन्हें देशभर में सुना जाएगा।
बीते 12 अक्टूबर से सुप्रीम कोर्ट ने अपनी पूरी क्षमता के साथ कामकाज करना शुरू किया है। अब कोरोना काल से पहले की ही तरह सभी 12 खंडपीठों के तीस जज नियमित रूप से वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई कर रहे हैं। हालांकि कोविड-19 के संक्रमण को देखते हुए वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए ही सुनवाई हो रही है।
हाल ही में देश के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे ने कहा था कि देश की अदालतों में अभी आम दिनों की तरह सुनवाई संभव नहीं है। इस सिलसिले में मेडिकल बोर्ड एवं चिकित्सा विशेषज्ञों की ठोस सलाह मिलने के बाद ही विचार संभव है। उन्होंने साफ कर दिया था कि कोरोना के खतरे की वजह से सुनवाई वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये ही होगी।