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सुप्रीम कोर्ट का निर्देश, नेताओं के खिलाफ सीबीआइ मामलों के लिए विशेष अदालतें गठित करें हाई कोर्ट

हाई कोर्टो की ओर से इसकी लगातार निगरानी पर्यवेक्षण और सतर्कता होनी चाहिए। आदेश के मुताबिक लंबित मामलों की निगरानी के लिए हाई कोर्टो के मुख्य न्यायाधीशों से पहले ही विशेष खंडपीठें गठित करने का अनुरोध किया जा चुका है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Fri, 27 Aug 2021 12:18 AM (IST)Updated: Fri, 27 Aug 2021 12:18 AM (IST)
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश, नेताओं के खिलाफ सीबीआइ मामलों के लिए विशेष अदालतें गठित करें हाई कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, केंद्र या राज्य सरकारें असहयोग करें तो हमें बताएं

नई दिल्ली, प्रेट्र। सांसदों-विधायकों के खिलाफ सीबीआइ मामलों में धीमी जांच और अभियोजन पर सुप्रीम कोर्ट ने गहरी चिंता व्यक्त की है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने एजेंसी द्वारा तेजी से जांच और सुनवाई पूरी करने के लिए कई निर्देश जारी किए हैं जिसमें हाई कोर्टो द्वारा अतिरिक्त विशेष अदालतों की स्थापना शामिल है।

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प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने हाई कोर्टो से कहा कि लंबित मामलों के तेजी से निपटारे के लिए जहां जरूरी हो, विशेष अदालतें गठित की जाएं और इस मसले पर केंद्र या राज्य सरकारों से किसी तरह का असहयोग मिले तो इस बारे में शीर्ष अदालत को अवगत कराएं। राज्य की पुलिस और अभियोजन एजेंसी से सहयोग के संबंध में हाई कोर्ट द्वारा गठित विशेष शाखा सुनिश्चित करेगी कि इन एजेंसियों की ओर से कोई शिथिलता नहीं बरती जाए। हाई कोर्टो की ओर से इसकी लगातार निगरानी, पर्यवेक्षण और सतर्कता होनी चाहिए। आदेश के मुताबिक, लंबित मामलों की निगरानी के लिए हाई कोर्टो के मुख्य न्यायाधीशों से पहले ही विशेष खंडपीठें गठित करने का अनुरोध किया जा चुका है। पीठ ने कहा, 'हम निर्देश देते हैं कि प्रत्येक हाई कोर्ट लंबित मामलों की सुनवाई में तेजी लाने और पूर्ववर्ती आदेशों में पहले से तय समयावधि में उन्हें पूरा करने के लिए जरूरी कदम उठाएगा।'

इस संदर्भ में पीठ ने अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर बुधवार को आदेश जारी किया था, लेकिन इसे अदालत की वेबसाइट पर गुरुवार को अपलोड किया गया। पीठ ने कहा, सालिसिटर जनरल ने आश्वस्त किया है कि वह एजेंसी को पर्याप्त मानव संसाधन और बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने के लिए सीबीआइ निदेशक से बात करेंगे ताकि लंबित जांचें जल्द से जल्द पूरी हो सकें। शीर्ष अदालत ने कहा कि आरोपितों की पेशी सुनिश्चित करने, आरोप तय करने में सीबीआइ अदालतों को आवश्यक सहायता उपलब्ध कराने और सुनवाई पूरी करने के लिए सीबीआइ सभी आवश्यक कदम भी उठाएगी। सीबीआइ यह सुनिश्चित करेगी कि गवाहों को पेश करने में उसकी ओर से कोई चूक न हो।

सीबीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक, विभिन्न सीबीआइ अदालतों में वर्तमान या पूर्व सांसदों की संलिप्तता वाले 121 मामले और वर्तमान या पूर्व विधायकों की संलिप्तता वाले 112 मामले लंबित हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 37 मामले अभी भी जांच के स्तर पर हैं जिसमें सबसे पुराना 24 अक्टूबर, 2013 को दर्ज हुआ था।


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