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जानें क्‍यों सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अमीर और गरीब के लिए अलग नहीं हो सकती न्याय व्यवस्था

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के जज खराब परिस्थितियों के बीच काम करते हैं। उनके पास ढांचागत संसाधनों की कमी है। जिला न्यायालय के प्रति औपनिवेशिक सोच बदलनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि पता चलता है कि पुलिस अभियुक्त गोविंद सिंह को बचा रही थी।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 22 Jul 2021 10:09 PM (IST)Updated: Fri, 23 Jul 2021 07:29 AM (IST)
जानें क्‍यों सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अमीर और गरीब के लिए अलग नहीं हो सकती न्याय व्यवस्था
सुप्रीम कोर्ट ने जिला स्तर तक न्यायपालिका को राजनीतिक व अन्य दबाव से मुक्त रखने की बात कही।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के एक मामले में हत्या आरोपित की जमानत रद करते हुए गुरुवार को जांच में पुलिस प्रशासन के ढीले रवैये और प्रभावी व्यक्ति द्वारा न्यायपालिका को दबाव में लेने पर तीखी टिप्पणियां की हैं। कोर्ट ने कहा कि भारत में समानांतर दो न्याय व्यवस्था नहीं हो सकती। एक उनके लिए जो साधन संपन्न, राजनीतिक शक्ति रखने वाले और प्रभावी लोग हैं और दूसरे वे छोटे साधनहीन लोग जिनके पास अन्याय से लड़ने और न्याय पाने की क्षमता नहीं है। कोर्ट ने जिला स्तर तक न्यायपालिका को राजनीतिक व अन्य दबाव से मुक्त रखने की बात कही।

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सुप्रीम कोर्ट ने रद की बसपा विधायक रामबाई सिंह के पति की जमानत

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और ऋषिकेश राय की पीठ ने ये तीखी टिप्पणियां मध्य प्रदेश के एक मामले में हत्या आरोपित गोविंद सिंह की जमानत रद करते हुए अपने फैसले में की है। कोर्ट ने मध्य प्रदेश की बसपा विधायक रामबाई सिंह के पति गोविंद सिंह की जमानत रद कर दी।

कोर्ट ने आदेश दिया है कि गोविंद सिंह को किसी दूसरी जेल में स्थानांतरित किया जाए, ताकि स्वतंत्र और निष्पक्ष अदालती कार्यवाही सुनिश्चित हो। गोविंद सिंह पर कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया की हत्या का आरोप है। सुप्रीम कोर्ट ने गोविंद सिंह की जमानत रद किए जाने की अर्जी खारिज करने पर हाई कोर्ट को भी आड़े हाथों लिया है।

अभियुक्त गोविंद सिंह को बचा रही थी पुलिस

इसने कहा कि हाई कोर्ट ने कानून के तय सिद्धांत की अनदेखी की है। इस मामले में सत्र अदालत के न्यायाधीश एडीशनल सेशन जज द्वारा आशंकाएं व्यक्त किए जाने और उन पर दवाब डाले जाने की शिकायत को भी सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लिया है। अदालत ने कहा कि नागरिकों के लिए पहला बिंदु जिला न्यायालय ही है। न्याय व्यवस्था में लोगों का विश्वास बनाए रखने के लिए जिला न्यायालय पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के जज खराब परिस्थितियों के बीच काम करते हैं। उनके पास ढांचागत संसाधनों की कमी है। पर्याप्त सुरक्षा नहीं है। जिला न्यायालय के प्रति औपनिवेशिक सोच बदलनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट से कहा है कि वह एडीशनल सेशन जज द्वारा प्रकट की गई आशंका की जांच करे और इसे सही पाए जाने पर जरूरी कार्रवाई करे। कोर्ट ने कहा कि तथ्यों से पता चलता है कि पुलिस अभियुक्त गोविंद सिंह को बचा रही थी।

क्या है मामला

कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया के पुत्र सोमेश चौरसिया ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर गोविंद सिंह की जमानत और सजा निलंबन का आदेश रद करने की मांग की। लेकिन हाई कोर्ट ने 23 जुलाई, 2019 को दोनों अर्जियां खारिज कर दी थीं। इसके बाद सोमेश ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

गोविंद सिंह को तीन मामलों में सजा हो चुकी है, जिसमें दो में हत्या के जुर्म में उम्रकैद हुई है। लेकिन कोर्ट से उसे सजा निलंबन और जमानत मिल गई थी। आरोप है कि जमानत पर बाहर आने के बाद उसने देवेंद्र चौरसिया की हत्या की थी।

इस मामले में कोर्ट से वारंट जारी होने के बाद भी गोविंद सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने गोविंद सिंह को गत 28 मार्च को गिरफ्तार किया था। फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में ही है।


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