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अर्णब गोस्वामी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कुछ लोगों को अधिक संरक्षण की है जरूरत

पीठ ने कहा कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। कुछ व्यक्तियों को अधिक गंभीरता से निशाना बनाया जाता है। आजकल इस तरह की संस्कृति हो गई है जिसमें कुछ व्यक्तियों को अधिक संरक्षण की आवश्यकता है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 06:26 AM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 06:26 AM (IST)
अर्णब गोस्वामी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कुछ लोगों को अधिक संरक्षण की है जरूरत
अर्णब गोस्वामी के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि एक राजनीतिक दल ने कई राज्यों में दर्ज कराए कई मामले

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि कुछ व्यक्तियों को अधिक गंभीरता से निशाना बनाया जाता है और उन्हें अधिक संरक्षण की जरूरत है। कथित रूप से भड़काने वाली टिप्पणियां करने के आरोप में रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी के खिलाफ दर्ज दो प्राथमिकियों की जांच पर रोक लगाने के बांबे हाई कोर्ट के आदेश का महाराष्ट्र सरकार द्वारा विरोध करने पर सुप्रीम कोर्ट ने यह बात कही। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूíत धनंजय वाई चंद्रचूड़ और एल नागेश्वर राव की पीठ ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब महाराष्ट्र सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने हाई कोर्ट के 30 जून के आदेश पर सवाल उठाया। कहा कि यह संकेत नहीं दिया जाना चाहिए कि कुछ लोग कानून से ऊपर हैं। इस पर पीठ ने कहा, कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। कुछ व्यक्तियों को अधिक गंभीरता से निशाना बनाया जाता है। आजकल इस तरह की संस्कृति हो गई है, जिसमें कुछ व्यक्तियों को अधिक संरक्षण की आवश्यकता है।

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शीर्ष अदालत अर्णब के खिलाफ दर्ज प्राथमिकियों पर रोक के हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली महाराष्ट्र सरकार की अपील पर सुनवाई कर रही थी। लॉकडाउन के दौरान पालघर में साधुओं की पीट-पीटकर हत्या और बांद्रा इलाके में बड़ी संख्या में प्रवासी कामगारों के जमावड़े पर टीवी कार्यक्रमों में अर्णब की टिप्पणियों के संबंध में ये प्राथमिकियां दर्ज की गई थीं।

एक राजनीतिक दल ने कई राज्यों में दर्ज कराए कई मामले

वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान अर्णब के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि ये प्राथमिकियां सही नहीं हैं। एक राजनीतिक दल ने कई राज्यों में मामले दर्ज कराए हैं। सिंघवी ने कहा कि उच्च न्यायालय ने प्राथमिकी पर रोक लगा दी है और जांच भी निलंबित कर दी है, जो नहीं की जानी चाहिए थीा। उन्होंने कहा, एक आपराधिक मामले में राज्य को जांच नहीं करने के लिए कैसे कहा जा सकता है? इस पर पीठ ने कहा, यह विशुद्ध रूप से मौखिक मामले से जुड़ा बौद्धिक मसला है। यह कोई हथियार आदि की बरामदगी से संबंधित नहीं है। आप को जांच का अधिकार है। लेकिन, आप किसी को परेशान नहीं कर सकते। यह इस तरह से नहीं किया जा सकता जैसा किया गया है।


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