सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'सीखने की अक्षमता' से पीड़ित छात्र को डिग्री दे आइआइटी बांबे; जानिए क्या है पूरा मामला
नमन वर्मा 2013 बैच के छात्र रहे हैं। कोर्ट ने 11 मई के अपने आदेश में कहा कि हम भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए डिग्री दिए जाने का आदेश दे रहे हैं।
नई दिल्ली, एजेंसी। सीखने की अक्षमता से पीड़ित एक छात्र के लिए, सुप्रीम कोर्ट का आदेश एक बड़ी राहत के रूप में आया है क्योंकि इसने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बांबे को डिजाइन में मास्टर की डिग्री सौंपने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने घोषित किया है छात्र ने अपना कोर्स सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। जस्टिस उदय उमेश ललित, जस्टिस रवींद्र भट और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बांबे (आइआइटी-बी) को चार सााह के भीतर अपीलकर्ता नमन वर्मा को डिग्री और अन्य सभी प्रशंसापत्र सौंपने सहित उचित कदम उठाने का निर्देश दिया।
नमन वर्मा 2013 बैच के छात्र रहे हैं। कोर्ट ने 11 मई के अपने आदेश में कहा कि हम भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए डिग्री दिए जाने का आदेश दे रहे हैं। इसके साथ ही हम घोषणा करते हैं कि अपीलकर्ता ने मास्टर इन डिजाइन का पाठ्यक्रम सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है।
'सीखने की अक्षमता' से पीड़ित होने का किया दावा
शीर्ष अदालत नमन वर्मा की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें बांबे हाई कोर्ट के 17 अप्रैल, 2018 के फैसले और आदेश को चुनौती दी गई थी। नमन वर्मा, जिन्होंने डिस्कलकुलिया के नाम से जानी जाने वाली 'सीखने की अक्षमता' से पीड़ित होने का दावा किया है, ने बांबे हाई कोर्ट के समक्ष याचिका दायर अपने पाठ्यक्रम के पूरे होने पर आइआइटी बांबे को डिग्री सौंपने का आदेश देने का आग्रह किया था। हालांकि बांबे हाई कोर्ट में उसकी याचिका पर अंतिम निर्णय देने के समय विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखने के कारण उसे राहत नहीं मिल पाई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने राइट्स आफ पर्सन्स आफ डिसएबिलिटीज एक्ट 2016 के तहत राहत प्रदान की।
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