सुप्रीम कोर्ट ने कहा, शिक्षा के अधिकार के लिए चमत्कार की उम्मीद ना करें
अखिल दिल्ली प्राथमिक शिक्षक संघ नामक संस्था ने शिक्षा के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी थी, जिसे खारिज कर दिया गया।
नई दिल्ली, प्रेट्र। भारत एक विशाल देश है। इतने विशाल देश में शिक्षा के अधिकार (आरटीई) कानून के क्रियान्वयन को लेकर किसी चमत्कार की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। देश की कई प्राथमिकताएं हैं। शुक्रवार को इस संदर्भ में एक याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की।
अखिल दिल्ली प्राथमिक शिक्षक संघ नामक संस्था ने इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी थी। संस्था ने शिक्षा के अधिकार कानून के क्रियान्वयन के संदर्भ में अदालत से निर्देश जारी करने की मांग की थी। इस पर अदालत ने याचिकाकर्ता को केंद्र के समक्ष शिक्षा के अधिकार कानून के क्रियान्वयन पर प्रजेंटेशन देने को कहा था। साथ ही केंद्र सरकार को भी इस संदर्भ में लिए गए फैसले की जानकारी से अदालत को अवगत कराने को कहा था। अब कोर्ट ने याचिका पर आगे सुनवाई से इन्कार करते हुए इसे खारिज कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एसके कौल और केएम जोसेफ की पीठ ने याचिकाकर्ता के प्रजेंटेशन पर केंद्र की प्रतिक्रिया को भी संज्ञान में लिया। पीठ ने कहा, 'हमने याचिकाकर्ता के वकील को सुना और संबंधित तथ्य देखे। हम मामले में दखल नहीं देना चाहते। इसलिए याचिका खारिज होती है।' अपनी टिप्पणी में पीठ ने कहा कि भारत जैसे विशाल देश में बहुत सी प्राथमिकताएं हैं। निसंदेह शिक्षा उनमें से एक है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकारी स्कूलों के बंद होने और शिक्षकों के 9.5 लाख पद खाली होने के कारण बड़ी संख्या में बच्चे शिक्षा से वंचित हैं। याचिका में अदालत से राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को छह महीने के भीतर शिक्षा से वंचित रह गए बच्चों की पहचान करने का निर्देश देने की अपील की गई थी।