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Supreme Court ने कहा- व्यभिचार के लिए सशस्त्र बल अपने अधिकारियों के खिलाफ कर सकते हैं कार्रवाई

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को व्यवस्था दी कि सशस्त्र बल व्यभिचार के लिए अपने अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं और व्यभिचार को अपराध की श्रेणी से बाहर करने वाले 2018 के ऐतिहासिक फैसले को स्पष्ट किया। File Photo

By AgencyEdited By: Devshanker ChovdharyPublished: Tue, 31 Jan 2023 06:53 PM (IST)Updated: Tue, 31 Jan 2023 06:53 PM (IST)
Supreme Court ने कहा- व्यभिचार के लिए सशस्त्र बल अपने अधिकारियों के खिलाफ कर सकते हैं कार्रवाई
'व्यभिचार के लिए सशस्त्र बल अपने अधिकारियों के खिलाफ कर सकते हैं कार्रवाई'

नई दिल्ली, पीटीआई। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को व्यवस्था दी कि सशस्त्र बल व्यभिचार के लिए अपने अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं और व्यभिचार को अपराध की श्रेणी से बाहर करने वाले 2018 के ऐतिहासिक फैसले को स्पष्ट किया। जस्टिस के एम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि उसका 2018 का फैसला सशस्त्र बल अधिनियमों के प्रावधानों से संबंधित नहीं था।

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व्यभिचार से जुड़ी धारा को बताया असंवैधानिक

शीर्ष अदालत ने अनिवासी भारतीय जोसेफ शाइन की याचिका पर 2018 में व्यभिचार के अपराध से जुड़ी भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 497 को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया था। पीठ में न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी, न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस, न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार भी शामिल थे।

रक्षा मंत्रालय ने दी थी दलील

केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल माधवी दीवान ने 2018 के फैसले पर स्पष्टीकरण का अनुरोध किया। रक्षा मंत्रालय ने 27 सितंबर, 2018 के फैसले से सशस्त्र बलों को छूट देने के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसमें कहा गया था कि यह उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई में बाधा बन सकता है, जो इस तरह के कार्यों में शामिल हैं और सेवाओं के भीतर ‘अस्थिरता’ पैदा कर सकते हैं।

याचिका में कहा गया, 'उपरोक्त (2018 के) फैसले के मद्देनजर, चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में अपने परिवारों से दूर काम कर रहे सैन्य कर्मियों के मन में हमेशा अप्रिय गतिविधियों में परिवार के शामिल होने के बारे में चिंता रहेगी।'

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