निर्भया के दोषियों की पुनर्विचार याचिका पर जब की थी सुप्रीम कोर्ट ने तीखी टिप्पणी
पिछली बार जब निर्भया मामले में पुनर्विचार याचिका को लेकर बहस हुई थी तब भी कोर्ट ने बचाव पक्ष की दलीलों पर तीखी टिप्पणी की थी।
नई दिल्ली (स्पेशल डेस्क)। निर्भया के दोषियों की पुनर्विचार याचिका को खारिज करने के बाद अब यह मामला अपने अंजाम तक पहुंचता दिखाई दे रहा है। पिछली बार जब इस मामले में पुनर्विचार याचिका को लेकर बहस हुई थी तब भी कोर्ट ने बचाव पक्ष की दलीलों पर तीखी टिप्पणी की थी। 4 मई 2018 को मामले की सुनवाई के दौरान जब निर्भया के दोषियों ने अन्य देशों का उदाहरण देते हुए मृत्युदंड का विरोध किया तो सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट का दो टूक जवाब था, कानून की किताब में है मृत्युदंड का प्रावधान और ये विरले मामलों में दिया जाता है।
कोर्ट की टिप्पणी
कोर्ट ने निर्भया के दोषियों विनय शर्मा और पवन कुमार गुप्ता की ओर से मृत्युदंड के खिलाफ दी जा रही दलीलों पर ये भी कहा कि ये सुनवाई उनकी पुनर्विचार याचिका पर हो रही है न कि मृत्युदंड का प्रावधान होने न होने पर है। वे अपने केस से संबंधित दलीलें रखें। हालांकि दोषियों की ओर से महात्मा गांधी और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के सिद्धांतों की दुहाई देते हुए दया की गुहार लगाई गई। कोर्ट ने दोनों की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करके अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, आर भानुमति व अशोक भूषण की पीठ ने की।
क्या था पूरा मामला
दिसंबर 2012 में दिल्ली में निर्भया के साथ चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म हुआ था। निर्भया के साथ इस कदर बर्बरता हुई की इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने मामलें में दोषी मुकेश, अक्षय, विनय और पवन को फांसी की सजा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने चारों की फांसी पर गत वर्ष 5 मई को अपनी मुहर लगाई थी। इसके खिलाफ तीन दोषियों मुकेश, विनय और पवन ने पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल की हैं। मुकेश की याचिका पर ही सुनवाई हो चुकी है। शुक्रवार को कोर्ट ने विनय और पवन की याचिका पर भी सुनवाई पूरी कर ली। अक्षय की ओर से अभी तक पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं हुई है। हालांकि उसके वकील एपी सिंह ने कोर्ट से कहा कि वे तीन चार सप्ताह में याचिका दाखिल कर देंगे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से फिलहाल चारो की फांसी पर अंतरिम रोक लगी हुई है।
दोषियों को देरी का नहीं मिलना चाहिए लाभ
दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने अभियुक्तों की ओर से पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के नाम पर की जा रही अनुचित देरी का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने गत वर्ष मई में चारों की अपीलें खारिज कर दी थी तब से एक साल गुजर चुका है ये लोग पुनर्विचार याचिका के नाम पर देरी करते जा रहे हैं। ऐसे में देरी के आधार पर मृत्युदंड की माफी का लाभ इन्हें नहीं मिलना चाहिए। कोर्ट ने सहमति जताते हुए कहा कि अगर चौथे अभियुक्त ने याचिका नहीं दाखिल की है तो कोर्ट उसका इंतजार नहीं करेगा तीन की याचिकाओं पर फैसला सुना देगा।
लगाई दया की गुहार
दोनों दोषियों के वकील एपी सिंह ने दुनिया में मृत्युदंड खत्म होने की दलीलें देते हुए उन्हें मौत की सजा न दिये जाने की गुहार लगाई। कहा दंड का उद्देश्य होता है व्यक्ति में सुधार करना। मौत की सजा देने से ऐसा नहीं होगा। मौत की सजा देकर अपराधी को खत्म किया जा सकता है लेकिन अपराध को नहीं। उन्होंने महात्मा गांधी के पाप से घृणा करो पापी से नहीं नारे का भी उदाहरण दिया। वकील ने कहा कि घटना के वक्त दोनों अभियुक्त नाबालिग थे। पुलिस ने उन्हें झूठा फंसाया है। पुलिस ने मामले की सही ढंग से जांच कर वास्तविक दोषियों को नहीं पकड़ा बल्कि निर्दोषों को पकड़ लिया।