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सुप्रीम कोर्ट ई-समिति ने जारी किया लाइव स्ट्रीमिंग के लिए नियमों का मसौदा, जानें डिटेल

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की ई-समिति ने सोमवार को अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग और रिकार्डिग के लिए माडल नियमों का मसौदा जारी किया। इस कदम का मकसद ज्यादा पारदर्शिता समावेशिता और न्याय तक पहुंच लाना है। पढेंं डिटेल...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 07 Jun 2021 11:13 PM (IST)Updated: Mon, 07 Jun 2021 11:26 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ई-समिति ने जारी किया लाइव स्ट्रीमिंग के लिए नियमों का मसौदा, जानें डिटेल
सुप्रीम कोर्ट की ई-समिति ने कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग के लिए माडल नियमों का मसौदा जारी किया।

नई दिल्‍ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की ई-समिति ने सोमवार को अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग और रिकार्डिग के लिए माडल नियमों का मसौदा जारी किया। इस कदम का मकसद ज्यादा पारदर्शिता, समावेशिता और न्याय तक पहुंच लाना है। नियमों का यह मसौदा तैयार करने के लिए एक उपसमिति का गठन किया गया था जिसमें बांबे, दिल्ली, मद्रास और कर्नाटक हाई कोर्ट के जज शामिल थे।

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आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक, मसौदा नियमों में स्पष्ट किया गया है कि वैवाहिक मामले (स्थानांतरण याचिकाओं समेत), यौन अपराधों से जुड़े मामले, महिलाओं के खिलाफ लिंग आधारित हिंसा के मामले और अन्य मामले लाइव स्ट्रीमिंग के दायरे से बाहर होंगे। किसी कार्यवाही या उसके किसी अंश की लाइव स्ट्रीमिंग की अनुमति दी जाए या नहीं, इसका फैसला पीठ का होगा।

हालांकि पीठ का फैसला मुक्त और पारदर्शी न्याय प्रक्रिया के सिद्धांत से निर्देशित होगा। समिति ने सभी पक्षकारों से इन मसौदा नियमों पर प्रतिक्रिया और सुझाव आमंत्रित किए हैं। माडल नियमों में अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग और रिकार्डिग के लिए संतुलित नियामक ढांचा उपलब्ध कराया गया है। मसौदा नियमों में कहा गया है कि अदालती कक्षों में पांच कोणों से कैमरे लगाए जाएंगे।

नियमों के मुताबिक एक कैमरा पीठ की तरफ होगा जबकि दूसरा और तीसरा वकीलों की ओर होगा, चौथा आरोपित की ओर होगा और पांचवां गवाह की ओर होगा। अगर अदालत में इलेक्ट्रानिक साक्ष्य प्रस्तुतिकरण प्रणाली का इस्तेमाल होगा तो उसकी अतिरिक्त फीड हासिल की जाएगी। विज्ञप्ति के मुताबिक, पीठ के अध्यक्ष जज को एक रिमोट कंट्रोल उपकरण उपलब्ध कराया जाएगा ताकि वह लाइव स्ट्रीमिंग को कभी भी रोक सकें। 

उल्‍लेखनीय है कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए 22 अप्रैल से सुप्रीम कोर्ट ने केवल जरूरी मामलों की सुनवाई करने की बात कही थी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एक और सर्कुलर जारी किया था जिसमें कहा गया था कि 22 अप्रैल से नियमित अदालतें नहीं बैठेंगी। सर्कुलर में कहा गया था कि एडवोकेट ऑन रिकार्ड और पार्टी इन परसन मामलों की सुनवाई के लिए एक मेंशनिंग अर्जी देंगे जिसमें तत्काल सुनवाई का कारण दर्ज होगा।


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