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पलायन कर रहे मजदूरों को होटलों में शरण देने की याचिका खारिज, सरकार ने दी यह दलील

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पलायन कर रहे मजदूरों को होटलों में शरण देने की याचिका खारिज कर दी। सरकार ने दलील दी कि अब कोई कामगार सड़क पर नहीं है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 03 Apr 2020 10:56 PM (IST)Updated: Fri, 03 Apr 2020 10:56 PM (IST)
पलायन कर रहे मजदूरों को होटलों में शरण देने की याचिका खारिज, सरकार ने दी यह दलील
पलायन कर रहे मजदूरों को होटलों में शरण देने की याचिका खारिज, सरकार ने दी यह दलील

नई दिल्ली, पीटीआइ। लॉकडाउन के कारण विभिन्न शहरों से अपने गांव व शहर पैदल जा रहे कामगारों को रास्ते में पड़ने वाले होटलों व रिजार्ट में शरण देने की मांग करने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। जस्टिस एल. नागेश्वर राव और दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अदालत सरकार को लाखों तरह के सुझाव लेकर आने वाले सभी लोगों की बात सुनने को बाध्य नहीं कर सकती।

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सरकार ने उठाए गए कदमों की जानकारी दी

सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस याचिका पर आपत्ति करते हुए कहा कि पलायन करने वाले कामगारों को रास्ते में शरण देने के लिए राज्य सरकारों ने स्कूल-कॉलेजों व अन्य इमारतों को कब्जे में लिया है। उल्लेखनीय है लॉकडाउन के बाद पलायन करने वाले कामगारों के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट में अनेक याचिकाएं दायर की गईं। 31 मार्च को मुख्य न्यायाधीश एस. ए बोवडे ने केंद्र सरकार को निर्देशित किया था कि वह पलायन करने वालों को रास्ते में रोककर आश्रय, भोजन और चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराए।

कोई कामगार सड़क पर नहीं

कोरोना वायरस से ज्यादा दहशत को घातक बताते हुए शीर्ष अदालत ने केंद्र को पलायन करने वालों का भय दूर करने के लिए सभी धर्मों के गुरुओं को साथ लेकर अभियान चलाने का भी निर्देश चुकी है। कोर्ट इसके साथ ही कोरोना के बारे में 24 घंटे ताजा जानकारी देने वाला पोर्टल शुरू करने का भी निर्देश दे चुका है। सॉलिसिटर जनरल ने 31 मार्च को कोर्ट में बताया था कि इस समय कोई कामगार सड़क पर नहीं है। सब या तो घर पहुंच गए हैं या किसी आश्रय स्थल में हैं।

मुफ्त जांच की मांग पर केंद्र से जवाब तलब

देश के सभी नागरिकों की कोविड-19 संबंधी जांच मुफ्त कराए जाने की मांग को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और अन्य संबंधित पक्षों से जवाब मांगा है। जस्टिस एल. नागेश्वर राव व जस्टिस दीपक गुप्ता की खंठपीठ ने वीडियो कांफ्रेसिंग से सुनवाई करते हुए याचिका दायर करने वाले वकील शशांक देव सुधी से इसकी प्रति क्रेंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को मेल करने को कहा है। इस याचिका पर अब अगले सप्ताह सुनवाई होगी। सुधी ने अपनी याचिका में जांच की सुविधाएं बढ़ाए जाने के साथ इंडियन कौंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) द्वारा प्राइवेट अस्पतालों में जांच की फीस 4500 करने पर भी सवाल उठाया है।

मास्क व सैनिटाइजर की निर्धारित कीमतों का प्रचार होगा

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वस्त किया है कि कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते मास्क व सैनिटाइजर की निर्धारित दर से अधिक कीमत वसूलने से रोकने के लिए स्थापित हेल्पलाइन नंबरों का प्रचार किया जाएगा। जस्टिस एल. नागेश्वर राव व जस्टिस दीपक गुप्ता की खंडपीठ एनजीओ जस्टिस फॉर राइट्स फाउंडेशन की इस संबंध में दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में सभी लोगों को उचित दर पर मास्क, सैनिटाइजर व साबुन उपलब्ध कराने की मांग की गई थी।


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