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महिला सैन्य अधिकारियों के स्थायी कमीशन की याचिका पर विचार से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

महिला सैन्य अधिकारियों को स्थायी कमीशन के लाभ प्रदान करने की याचिका पर विचार करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Fri, 04 Sep 2020 09:25 AM (IST)Updated: Fri, 04 Sep 2020 09:25 AM (IST)
महिला सैन्य अधिकारियों के स्थायी कमीशन की याचिका पर विचार से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
महिला सैन्य अधिकारियों के स्थायी कमीशन की याचिका पर विचार से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने शीर्ष अदालत की ओर से निर्धारित तारीख 17 फरवरी के बाद सेना में 14 साल की नौकरी पूरी करने वाली महिला सैन्य अधिकारियों को स्थायी कमीशन के लाभ प्रदान करने की याचिका पर विचार करने से इन्कार कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि महिला अधिकारियों की ओर से मांगी राहत एक तरह से उसके फैसले पर पुनíवचार करना है और यदि वह इसकी अनुमति देता है तो अधिकारियों के दूसरे बैच भी इसी तरह की राहत मांग सकते हैं।

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न्यायालय ने 17 फरवरी को अपने ऐतिहासिक फैसले में केंद्र को सभी सेवारत एसएससी महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने पर तीन महीने के भीतर विचार करने का निर्देश दिया था चाहें वे 14 साल की सेवा की सीमा पार कर चुकी हों या सेवा के 20 साल।शीर्ष अदालत ने कहा था कि एक बार के उपाय के रूप में पेंशन योग्य सेवा की अवधि 20 साल तक पहुंचने का लाभ उन सभी मौजूदा एसएससी अधिकारियों को मिलेगा जो 14 साल से ज्यादा समय से सेवारत हैं।

जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़, इन्दु मल्होत्रा और केएम जोसफ की पीठ ने गुरुवार को कहा कि वह इस याचिका पर विचार की इच्छुक नहीं है क्योंकि इसमें जो राहत मांगी गई है।वह फैसले पर पुनर्विचार के समान है। इस मामले की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी लेखी ने कहा कि यह आवेदन 19 महिला अधिकारियों ने दायर किया है जो मार्च में सेवानिवृत्त हुई हैं और वे स्थाई कमीशन के लाभ चाहती हैं। लेखी ने कहा कि न्यायालय की ओर से निर्धारित तारीख फैसले का दिन अर्थात 17 फरवरी है लेकिन कट ऑफ तारीख स्वीकार करने और स्थायी कमीशन प्रदान करने का सरकार का आदेश 17 जुलाई को आया। 

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, 'अगर हम कट-ऑफ तारीख में ढील देंगे तो इसका कोई अंत नहीं होगा। हम कहां लाइन खींचे? इसे लेकर मैं चिंतित हूं।' पीठ ने फैसले का उल्लेख किया और कहा कि इसमें सिर्फ एक बार के उपाय के रूप में निर्देश दिया गया था। पीठ ने टिप्पणी की, 'इन महिला अधिकारियों ने मार्च में सेवा में 14 साल पूरे किए हैं और हमने अपने फैसले की तारीख को कट ऑफ तारीख निर्धारित किया था। सरकार का आदेश बाद में आया। हम कहां तक जा सकते हैं?' केंद्र की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर. बालासुब्रह्मण्यन ने इस आवेदन का विरोध किया और कहा कि इसे खुला नहीं छोड़ा जा सकता। उन्होंने कहा कि मौजूदा आवेदकों ने शीर्ष अदालत द्वारा फैसला सुनाये जाने की तारीख 17 फरवरी को 14 साल की सेवा पूरी नहीं की थी। 

उन्होंने कहा कि सरकार ने स्थायी कमीशन के बारे में 16 जुलाई को आदेश पारित किया और 17 फरवरी की तारीख तक 14 साल की सेवा पूरी करने वाली सभी महिला सैन्य अधिकारियों को पेंशन और दूसरे लाभ मिलेंगे। उन्होंने कहा कि अगर न्यायालय ने इस मुद्दे को खुला रहने की इजाजत देगा तो यह सरकार के लिए लागू करना मुश्किल हो जाएगा। पीठ ने लेखी से कहा, 'अब, अगर हम इसका लाभ (आवेदकों को) देते हैं तो हमें इनके बाद वाले बैच के अधिकारियों को भी देना होगा।' पीठ ने कहा कि इसके गंभीर निहितार्थ होंगे क्योंकि प्रत्येक बैच सेवा में 14 साल पूरे करेगा। पीठ ने लेखी से कहा कि वह इस आवेदन को वापस लें और उन्हें स्थायी कमीशन देने के उनके आवेदनों पर बोर्ड के विचार किए जाने का इंतजार करें।


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