Gujarat Riot News: तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को तैयार, गुजरात दंगों से जुड़े मामले में हुई थी गिरफ्तार
सीजेआई रमणा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सीतलवाड़ की वकील अपर्णा भट्ट की अपील पर संज्ञान लिया है। खंडपीठ में शामिल जस्टिस जेके महेश्वरी और जस्टिस हिमा कोहली ने बताया कि सीतलवाड़ की याचिका पर अगले हफ्ते सोमवार को नामित मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित की अध्यक्षता वाली खंडपीठ सुनवाई करेगी।
नई दिल्ली, एजेंसियां: सुप्रीम कोर्ट सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर सुनवाई 22 अगस्त को सूचीबद्ध करने पर सहमत हो गया है। सीतलवाड़ पर 2002 के गुजरात दंगों में निर्दोष लोगों को फंसाने और उनके खिलाफ फर्जी सुबूत बनाने का आरोप है।
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमणा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सीतलवाड़ की वकील अपर्णा भट्ट की अपील पर संज्ञान लिया है। खंडपीठ में शामिल जस्टिस जेके महेश्वरी और जस्टिस हिमा कोहली ने बताया कि सीतलवाड़ की याचिका पर अगले हफ्ते सोमवार को नामित मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित की अध्यक्षता वाली खंडपीठ सुनवाई करेगी। गुजरात हाई कोर्ट ने विगत तीन अगस्त को राज्य सरकार को सीतलवाड़ की याचिका पर नोटिस जारी किया था। साथ ही 19 सितंबर को सुनवाई सुनिश्चित कर दी थी।
उल्लेखनीय है कि तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार पर गुजरात दंगों में निर्दोष लोगों को फंसाने का आरोप है। इन दोनों को इसी आरोप में जून में गिरफ्तार किया गया था और यह साबरमती सेंट्रल जेल में बंद हैं। श्रीकुमार ने भी जमानत के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। इससे पहले, अहमदाबाद की एक सत्र अदालत ने 30 जुलाई को मामले में सीतलवाड़ और पूर्व पुलिस महानिदेशक आर बी श्रीकुमार की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि अगर उन्हें रिहा किया जाता है, तो यह अपराधी प्रवृत्ति के लोगों तक गलत संदेश पहुंचाएगा।
वहीं, मामले के तीसरा आरोपी पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट ने जमानत के लिए आवेदन नहीं किया है। भट्ट पहले से ही एक अन्य आपराधिक मामले में जेल में थे जब उन्हें इस मामले में गिरफ्तार किया गया। बता दें, मुंबई की रहने वाली सीतलवाड़ और श्रीकुमार को 24 जून को सुप्रीम कोर्ट द्वारा कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी की याचिका खारिज करने के कुछ दिनों के भीतर गिरफ्तार कर लिया गया था। 27 फरवरी, 2002 को गोधरा स्टेशन के पास भीड़ द्वारा साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बा के आग लगाए जाने के बाद हुए हादसे में एहसान जाफरी मारे गए थे। हादसे में करीब 59 लोगों की मौत हुई थी।