ईसाई संस्थानों, पादरियों पर हमलों से संबंधित याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार
देश में ईसाई धार्मिक संस्थानों और उसके मानने वाले लोगों पर बढ़ते हमलों पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। पीठ ने कहा कि ऐसी घटनाएं दुर्भाग्यपूर्णं हैं जो किसी को धर्म के आधार पर प्रताड़ित करती हैं।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट देशभर में ईसाई संस्थानों और पादरियों पर कथित तौर पर हमले बढ़ने से संबंधित याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। इस याचिका में घृणा अपराधों पर लगाम लगाने के लिए शीर्ष अदालत के पहले के दिशा-निर्देशों के कार्यान्वयन की भी अपील की गई है।
वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजालवेज ने कहा कि देश में हर माह ईसाई संस्थानों और पादरियों पर हिंसक हमले के लगभग 45 से 50 मामले सामने आते हैं। मई माह में ही ऐसे 57 मामले दर्ज किए गए। उन्होंने न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति जेपी पार्डीवाला की अवकाशकालीन पीठ के सामने मामले का उल्लेख करते हुए इस याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने की अपील की।
उनके अनुरोध पर पीठ ने कहा कि यदि आपकी बात सही है तो यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। हम अवकाश के बाद कामकाज शुरू होने के पहले दिन इस मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेंगे। याचिका में 2018 में जारी सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों को भी लागू करने का अनुरोध किया गया है। इसके तहत देशभर में होने वाले घृणा अपराधों पर ध्यान देने और प्राथमिकी दर्ज करने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाने की बात कही गई थी।
पीठ ने 11 जुलाई को अदालत के एक बार फिर खुलने पर याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया। वहीं हालिया दिनों में यह देखने में आया है कि धर्म आधारित भेदभाव बढ़े हैं जो किसी भी सभ्य समाज के लिए ठीक नहीं हैं।
याचिका में घृणा अपराधों पर लगाम लगाने के लिए शीर्ष अदालत के पहले के दिशा-निर्देशों के कार्यान्वयन की भी अपील की गई है। ऐसा कहा गया कि जितना जल्दी हो सके इस तरह की घटनाओं पर रोक लगनी चाहिए ताकि सभी धार्मिक समुदाय एक साथ मिल कर रह सकें। हिन्दुस्तान की जो रवायत रही है वह सभी धर्मों को साथ लेकर चलने की है।